प्रतीक चौहान. रायपुर. शहर के प्रतिष्ठित डॉ पार्थ स्थापक (डीएम, कार्डियोलॉजिस्ट) ने लल्लूराम डॉट कॉम के पत्रकार पर ब्लैकमेल करने और उसे कोर्ट का नोटिस देकर कोर्ट में मिलने की बात कही है. चूंकि ये आरोप लगाए गए है, इसलिए हम डॉ पार्थ स्थापक से पत्रकार की हुई बातचीत का ऑडियो सार्वजनिक कर रहे है.
पहले सुने आप ये ऑडियो (ये ऑडियो 3 फोन कॉल्स के है, इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी बातचीत एडिट नहीं हुई है और खबर लिखे जाने तक इसके अलावा कोई भी बातचीत उक्त पत्रकार से उनकी नहीं हुई है)
तो चलिए हम आपको विस्तार से बताते है कि ये पूरा माजरा है क्या.
लल्लूराम को सूचना मिली की शहर के उक्त प्रतिष्ठित डॉ पार्थ स्थापक (डीएम, कार्डियोलॉजिस्ट) के पास जो उनकी डीएम कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री है वह छत्तीसगढ़ में प्रैक्टिस करने के लिए वैध नहीं है. हमने इस बात की पड़ताल शुरू की.
सबसे पहले हम छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट में गए. यहां से हमने सर्च डॉक्टर के ऑपशन में जाकर एडवांस सर्च का ऑपशन सलेक्ट किया. फिर हमने इंटर डॉक्टर नेम में डॉ पार्थ का नाम डाला.
इसके बाद मेल/फिमेल का जेंडर सलेक्ट किया. सर्च करने के बाद उससे ये पता चला कि वेबसाइट में उनकी डिग्री एमडी मेडिसिन ही लिखी हुई थी.
इसके बाद हम श्री अनंत साईं अस्पताल पहुंचे, जो डॉ पार्थ स्थापक (डीएम, कार्डियोलॉस्टि) का ही अस्पताल है. हमने वहां रिसेप्शन से डॉ पार्थ के संबंध में जानकारी चाही.
जिसके बाद पता चला कि वे अस्पताल में नहीं है. हमने अस्पताल में मौजूद डॉ मुकेश ( डॉ पार्थ के असिस्टेंट) को फोन किया और सच्चाई जानने के लिए एक कहानी गढ़ी कि एक मरीज को हार्ट अटैक आया है और उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जहां डॉक्टर एंजियोप्लास्टि की बात कह रहे है. लेकिन बजट ज्यादा होने के कारण हम मरीज को अनंत साईं अस्पताल लाना चाहते है.
इस संबंध में पुनः डॉक्टर मुकेश से फोन में बातचीत हुई. इसके बाद हमने उनसे डॉ पार्थ का नंबर मांगकर उनसे बात करने की इच्छा का निवेदन किया.
डॉ पार्थ का नंबर मिलने के बाद लल्लूराम डॉट कॉम के पत्रकार ने मरीज का परिजन बन उनसे बातचीत शुरू की. ये वहीं बातचीत है जो आपने ऊपर सुनी.
अब हम आपको बताते है कि उनकी ये डिग्री जांच के दायरे में क्यों है ?
मेडिकल काउंसिल के जिम्मेदार अधिकारी डॉ श्रीकांत राजिमवाले से भी हमने डॉ पार्थ की डिग्री को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि वेबसाइट अपडेट नहीं हुई है. इसी बीच डॉ पार्थ ने रिपोर्टर को अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भेजा. जो डीएम कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री के साथ रजिस्टर्ड हुआ है.
इसकी सत्यता जानने हमने इसे हमने पुनः डॉ राजिमवाले को भेजा उन्होंने भी इसे प्रमाणित करते हुए कहा कि हां, ये मेरे ही हस्ताक्षर है और इसे विभाग की तरफ से कागजी कार्रवाई के बाद जारी किया गया है. हालांकि अच्छी बात ये है कि शनिवार को डॉ राजिमवाले को फोन करने के बाद डॉ पार्थ की डिग्री सीजी मेडिकल काउंसिल में अपडेट हो गई है.
लेकिन बात यही खत्म नहीं हुई. हमें ये लगने लगा कि हमारी पड़ताल अधूरी है. चूंकि जिस लहजे में डॉ पार्थ रिपोर्टर से बातचीत कर रहे है, उनकी बातचीत से लगता है कि जरूर दाल में कुछ काला है. इसलिए वे पत्रकार का सवाल सुन कर गुस्से में आ गए.
हमने उनका पिछला इतिहास जानना शुरू किया. पता चला कि 2018 में एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की टीम इंस्पेक्शन में रायपुर आई थी. तब संविदा पद पर डॉ पार्थ मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग में पदस्थ थे.
इसी इंस्पेक्शन के दौरान आए इंस्पेक्टर ने उन्हें फैकल्टी मेंबर मानने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद डॉ पार्थ ने मेडिकल कॉलेज जाना बंद कर दिया और फिर बिना बताएं लंबी छुट्टी में होने के कारण उन्हें हटा दिया गया.
अब हमारे सामने सबसे बड़ा सवाल ये था कि यदि डॉ पार्थ के पास डिग्री के पूरा दस्तावेज है, सीजी मेडिकल काउंसिल का सर्टिफिटेक भी है. तो भला एमसीआई के इंस्पेक्टर/एग्जामिनर ने उन्हें फैकल्टी मानने से क्यों मना किया ?
इसके बाद शनिवार देर रात से इसकी पड़ताल जारी रखी. सुबह हमने अपनी पड़ताल एनएमसी ( नेश्नल मेडिकल कमिशन) की वेबसाइट से शुरू की.
इस वेबसाइट में जाने के बाद हम इंफारमेशन डेस्क में गए. इसके बाद फॉर स्टूडेंट टू स्टडी इन इंडिया ऑपशन में गए.
वहां जाने के बाद हमें चूंकि डीएम कार्डियोलॉजी की डिग्री के बारे में जानना था. इसलिए हम लिस्ट ऑफ कॉलेज टीचिंग पीजी कोर्स में गए.
डॉ पार्थ के पास जो डिग्री है वह पद्मश्री डॉ डीवाय पाटिल यूनिवर्सिटी नवी मुंबई की डिग्री है. यहां पुनः डीएम कार्डियोलॉजी का ऑपशन सलेक्ट करने के बाद महाराष्ट्र सलेक्ट कर पुनः पद्मश्री डॉ डीवाय पाटिल यूनिवर्सिटी नवी मुंबई सलेक्ट किया.
वहां जाने के बाद 27 नंबर ऑपशन में पहुंचे. जहां डीएम कार्डियोलजी महाराष्ट्र, पद्मश्री डॉ डीवाय पाटिल यूनिवर्सिटी नवी मुंबई की जानकारी दी गई है.
यहां स्पष्ट लिखा हुआ है कि डीएम कार्डियोलॉजी रिकॉग्नाइज्ड फॉर 2 सीट वेन डिग्री ग्रांटेड ऑन ऑर ऑफ्टर 2013. परमिटेड फॉर इंक्रिज ऑफ सीट फ्राम 2 टू 4 यू/एस 10 (ए) फ्रॉम 2020-21.
यानी डिग्री की मान्यता केवल पहली दो सीटों के लिए ही वैध होगी. अब सवाल ये है कि डॉ पार्थ एडमिशन के क्रम में कौन से नंबर पर थे.
हमने शनिवार देर शाम को भी डॉ पार्थ से विस्तार से जानने उन्हें फोन किया, लेकिन तीन बार बातचीत होने के बाद पत्रकार का फोन रिसीव नहीं किया.
अब ये पूरी जानकारी सामने आने के बाद ये विभागीय जांच का विषय है कि डॉ पार्थ के पास जो डीएम कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री है वह नियमों के मुताबिक वैध है या नहीं.
हालांकि हमने डॉ पार्थ से उनकी डिग्री भी देखने की इच्छा जाहिर की, तो उन्होंने हमें अपनी डिग्री के बजाएं प्रोविजन पासिंग सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया, जो ये है.