सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। कैंसर और अन्य जानलेवा रोगों से बचाने के लिए राज्य सरकार ने गुटखा बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है, इसके बावजूद प्रदेश के दूर-दराज इलाके तो दूर राजधानी में खुलेआम पान और किराना दुकानों में राज, सितार, नज़र जैसे प्रतिबंधित गुटखों की बिक्री हो रही है. इसका शिकार न केवल बड़े बल्कि नाबालिग भी हो रहे हैं.
सरकार ने स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करने की वजह से तंबाकू युक्त गुटखा पर प्रतिबंध लगाया था. इनमें सबसे बड़ा कारण मुंह के कैंसर का तेजी से बढ़ना है. एक अध्ययन के अनुसार, गुटखा में शामिल तम्बाकू, कत्था, सुपारी, कास्टिक चूना और कुछ अन्य पदार्थ इंसानों में पाए जाने वाले एंजाइमों को गंभीर तौर से प्रभावित करता है. इसके अलावा गुटखा उन हार्मोन के उत्पादन को भी प्रभावित करता है जो शरीर में दवाओं और संभावित जहरीले पदार्थों को तोड़ने में मदद करते हैं.
कैेंसर के साथ हृदय रोग का बड़ा कारण
गुटका खाने से ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस की आशंका को बढ़ाता है, इसमें व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है. यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग है. इसके अलावा गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट, एसोफैगस, मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है.
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अधिकारी झाड़ रहे अपनी जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इन्हीं स्वास्थ्यगत समस्याओं की वजह से प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन चंद पैसों की लालच में दुकानदार खुलेआम मौत के इस सामान को बेच रहे हैं. वहीं जिम्मेदार विभाग के अधिकारी भी सबकुछ जानने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. सवाल करने पर दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डालने लगते हैं. राजधानी में खुलेआम गुटखा बिक्री के सवाल पर असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर रायपुर धीरेंद्र पटेल फ़ूड का प्रभार नहीं होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.
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जानते सबकुछ हैं लेकिन कहेंगे कुछ नहीं
वहीं खाद्य के प्रभारी अधिकारी और एसडीएम प्रणव सिंह आधिकारिक तौर पर नहीं देने की बात कहते हुए गुटखा बेचने वालों के खिलाफ टीम भेजकर तत्काल कार्रवाई की बात कहते हैं. इधर राज्य कंट्रोलर केडी कुंजाम कहते हैं कि इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. वे इसे गंभीर बात बताते हुए तत्काल कार्रवाई की बात भी कहते हैं, लेकिन सवाल है कि यह कार्रवाई जमीन पर कब देखने को मिलेगी.
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