सत्या राजपूत, रायपुर. एक ओर जहां छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में जुटी है. लेकिन दूसरी ओर शिक्षा विभाग के ही अधिकारी सरकार की छवि बिगाड़ने में लगे हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में बड़ी गड़बड़ियां एक के बाद एक उजागर हो रही है. ब्लॉक, जिला से लेकर राजधानी तक के बड़े अधिकारियों पर मनमानी करने, लेन-देन करने, दुश्मनी निकालने, विषय बदलकर 100-100 किलोमीटर दूर तक तबादला करने से जैसे आरोप लग रहे हैं.

आखिर युक्तियुक्तकरण में किस तरह से चल रहा है खेल ?कैसे हो रही गड़बड़ियां ? और क्यों जिला शिक्षाधिकारी से लेकर शिक्षा सचिव ने साध ली है पूरे मामले में चुप्पी पढ़िए लल्लूराम डॉट की ग्राउंड रिपोर्ट ‘पड़ताल’ में –

पड़ताल -1

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमलीडीह में शिक्षकों की कमी है. दुश्मनी निकालते हुए यहां के तीन शिक्षकों को अतिशेष बताकर टांसफर कर दिया गया है. स्कूल में 547 विद्यार्थी हैं और महज 11 शिक्षक पदस्थ हैं. यहां सात शिक्षकों की आवश्यकता है. 30 बच्चों में 1 शिक्षक के अनुपात अनुसार 18 शिक्षकों की जरूरत है. बावजूद 11 शिक्षकों में से तीन शिक्षकों को अतिशेष बताकर दूसरे जगह भेज दिया गया है. इस पूरे मामले पर स्कूल प्राचार्य ने जिला शिक्षा अधिकारी को लेटर लिखा है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

पड़ताल- 2

शासकीय पूर्व माध्यमिक अभ्यास शाला शंकरनगर में लगभग 6 शिक्षकों का विषय बदला गया है. ताकि इन्हें अतिशेष शिक्षक होने से बचाया जा सके. वर्तमान में अंक सूची के आधार पर विषय बदला गया है. लेन-देन कर दूसरे विषय के शिक्षक और दूसरे विषय का बताकर रिश्तेदारी निभाई गई है.

पड़ताल- 3

आमासिवनी स्कूल रायपुर में एक विषय के दो शिक्षक हैं. बलदाऊ सिंह ठाकुर का पदस्थापना से प्रमोशन किया गया है. पिछले आठ सालों से पदस्थ हैं. शिक्षिका कामिनी अटैचमेंट कराकर सेवा दे रही. अटैच वाले को छोड़ पदस्थापना वाले शिक्षक को अतिशेष बताकर रायपुर से 100 किलोमीटर दूर भेज दिया गया. इस स्कूल के प्राचार्य ने इसका विरोध करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को लेटर लिखा है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. शिक्षिका कामिनी बावनकर स्कूल में अटैच, लेकिन जिला साक्षरता मिशन में है.

पड़ताल- 4

जहां से निकाले वहीं फिर से पोस्टिंग दे दी गई. शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला चटौद, ब्लॉक आरंग में बायो और गणित विषय के शिक्षकों को अतिशेष बताकर हटाया गया. वहीं दूसरी ओर इसी विषय के दो अन्य शिक्षकों को इसी स्कूल में भेजा गया है.

पड़ताल- 5

शासकीय उच्चतर माध्यमिक अमलीडीह स्कूल में गणित के एक मात्र शिक्षक को अतिशेष बताकर हटा दिया गया.

पड़ताल-6

काउंसलिंग में बहुत सारे रिक्त पदों को छिपा दिया गया है. प्राथमिक स्कूल पलारी में 10 पद ख़ाली है, जिसे नहीं दिखाया गया है. पारागांव हाईस्कूल में हिंदी, संस्कृत और सामाजिक विज्ञान के शिक्षक पद खाली हैं, जिसे दिखाया ही नहीं गया है.

अधिकारी इस प्रक्रिया को दरकिनार कर छापे नोट*

01. जिले के किसी भी वि ख और जिले में शिक्षकों के किसी भी पद की अतिशेष सूची का प्रकाशन ही नहीं किया गया जिसके कारण अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों के विषय में विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की शुद्धता का परीक्षण नहीं किया जा सका

2. अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों को काउंसलिंग के पहले दिन रात को व्यक्तिगत रूप से अचानक सूचना दी गई

3. अतिशेष चिन्हांकित शिक्षकों को दावा-आपत्ति का कोई अवसर नहीं दिया गया।

4. काउंसलिंग स्थलों पर भी शिक्षकों की आपत्तियों को स्वीकार नहीं किया गया

5. काउंसलिंग स्थलों में आपत्तियों के निराकरण के लिए कोई भी सक्षम अधिकारी उपस्थित नहीं रहे।

6. प्राथमिक शालाओं में उस संस्था के वरिष्ठ सहायक शिक्षकों को अतिशेष चिन्हांकित कर काउंसलिंग में बुलाया गया। कनिष्ठ सहायक शिक्षकों को उन्हीं शालाओं में यथावत रखा गया है।

7. पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों को मनचाहे तरीके से किसी भी विषय का शिक्षक मान लिया गया। विषय के चिन्हांकन के लिए कोई ठोस और तर्कसंगत आधार नहीं रखा गया।

8. जिन शालाओं से अतिशेष शिक्षक चिन्हांकित किए गए उन्हीं शालाओं में रिक्त पद दिखाते हुए शिक्षकों को पद भी आबंटित किए गए।

9. हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में किसी विषय के पदस्थ एक मात्र व्याख्याता को भी अतिशेष चिन्हांकित कर दिया गया। जबकि अनेक शालाओं में सेट अप से अधिक कार्यरत व्याख्याताओं को भी अतिशेष चिन्हांकित नहीं किया गया

11. आत्मानंद विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति के लिए असहमति देने वाले अनेक शिक्षकों अतिशेष चिन्हांकित नहीं किया गया।

12. अनेक शालाओं में पद रिक्त होने के बावजूद भी काउंसलिंग में उन पदों को रिक्त नहीं दिखाया गया।

रायपुर के शिक्षा विभाग में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया विवादों में घिर गई है. इस प्रक्रिया, जिसका उद्देश्य शिक्षकों का समान वितरण कर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना था, पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के गंभीर आरोप लगे हैं. लगभग 700 प्रभावित शिक्षकों में से केवल एक तिहाई ने अपनी नई तैनाती पर जॉइनिंग दी है, जो इस प्रक्रिया के प्रति व्यापक असंतोष को दर्शाता है

शिक्षक संघ का रुख
शालाए शिक्षक संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र दूबे ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा,
“युक्तियुक्तकरण के नाम पर सिर्फ व्यापार हुआ है। नियम-कानून की अनदेखी की गई। कई शिक्षकों से व्यक्तिगत दुश्मनी निकाली गई और अधिकारियों ने जमकर वसूली की। यह मुख्यमंत्री को बदनाम करने की साजिश है। सरकार को जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”

अधिकारियों की चुप्पी

जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. विजय खंडेलवाल कार्यालय में मौजूद नहीं थे और कई बार कॉल करने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला

यहाँ जब जवाब नहीं मिला तो शिक्षा सचिव को कॉल किया गया एक बार नहीं बल्कि पाँच पाँच बार कॉल किया गया क्योंकि युक्तियुक्त करण में गड़बड़ी सिर्फ़ रायपुर में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हो रही है ऐसे में शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी को भी पांच बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. इसे अब क्या समझा जाए ? शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग के सचिव सरकार के महत्वाकांक्षी कार्य में गड़बड़ी होते देख भी चुप्पी साधे हुए हैं, बोलने से बच रहे हैं..

क्या है आगे की राह?
शिक्षा विभाग का यह युक्तियुक्तकरण अभियान शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन इन अनियमितताओं ने इसकी साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। BEO, DEO, कलेक्टर कार्यालय से लेकर DPI तक शिकायतों का अंबार लगा है। सरकार से मांग की जा रही है कि इन आरोपों की गहन जांच हो और प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए, ताकि शिक्षकों और छात्रों के हितों की रक्षा हो सके।