रांची। बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में रांची की सीबीआई कोर्ट ने आरजेडी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया है. इस मामले में अब 3 जनवरी को फैसला आएगा. चारा घोटाले में आज 7 आरोपी बरी हो गए हैं, वहीं 15 लोग दोषी करार दिए गए हैं. बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को मामले में बरी कर दिया गया है. करीब 89 लाख रुपए के घोटाले में आज लालू यादव को सजा सुनाई गई है. ये फैसला देवघर कोषाघर मामले में आया है. जिस समय चारा घोटाला हुआ था, उस वक्त लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे.

ध्रुव भगत को भी बरी कर दिया गया है.

फिलहाल कोर्ट परिसर में स्पेशल पुलिस बुलाई जा रही है. लालू यादव को कोर्ट परिसर से सीधे जेल ले जाया जाएगा. इधर लालू यादव के समर्थकों का हुजूम कोर्ट परिसर में है. फैसले से लालू यादव और उनके समर्थकों में घोर निराशा देखी गई.

सीबीआई के जज शिवपाल सिंह ने मामले में फैसला सुनाया. इधर आरजेडी ने कहा कि भाजपा ने साजिश की है. उन्होंने कहा कि एक ही मामले में जगन्नाथ मिश्रा बरी हो गए, वहीं लालू दोषी करार दे दिए गए. 3 जनवरी को फैसला आने तक लालू यादव जेल में रहेंगे.

रघुवंश प्रसाद ने कहा कि ये पीएम नरेंद्र मोदी का खेल है. उन्होंने कहा कि फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे. सीबीआई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, लालू यादव और पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा आज समेत सभी 22 अभियुक्त कोर्ट रूम पहुंचे थे.

क्या है चारा घोटाला?

चारा घोटाला अविभाजित बिहार का सबसे बड़ा घोटाला था, जिसमें पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए थे. वहीं देवघर कोषागार से 84.54 लाख रु की अवैध निकासी से जुड़े इस मामले में 15 दिसंबर को दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई थी. आज इसी मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया गया है.

गौरतलब है कि साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर फर्जी तरीके से 89 लाख 27 हजार रुपए की निकासी का आरोप है. चारा घोटाला 950 करोड़ रुपए का है, इसमें से एक केस देवघर कोषागार से जुड़ा है. साल 1997 में केस दर्ज किया गया था.

वहीं चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रु अवैध ढंग से निकालने के चारा घोटाले के एक दूसरे केस में सभी आरोपियों को सजा हो चुकी है.

3 जनवरी को सजा का ऐलान

वकीलों का कहना है कि चारा घोटाला मामले में अधिकतम 7 साल और न्यूनतम 1 साल के जेल की सजा हो सकती है. हालांकि सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, गबन की धारा 409 के तहत 10 साल और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है.