पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. छुरा ब्लॉक के सरकडा ग्राम में ग्रामीणों के सामने निस्तारी का संकट आ गया है। गांव के मालगुजार परिवार ने निस्तारी तालाब पर कब्जा कर एक हिस्से में हेचरी बना दिया है। तालाब के शेष हिस्से पर पानी भरने नहीं दिया जा रहा है। जनदर्शन में जल भराव की मांग लेकर पहुंचे ग्रामीणों ने कलेक्टर को समस्या बताई। इस दौरान कलेक्टर ने भगवान सिंह उईके ने फरियादी को दो टूक कहते नजर आए। ग्रामीण जब अपनी समस्या बता रहे थे तभी कलेक्टर ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा कि कुछ भी बोलते हो, ज्यादा होशियारी मत दिखाओ समझे न, अनावश्यक बात करने से कोई मतलब नहीं, जो है उसका सबूत पेश करो कहते हुए चलता कर दिया।

सरपंच कृति लता दीवान,ग्राम विकास समिति अध्यक्ष बाबूलाल साहू और वरिष्ठ ग्रामीण दशरथ निषाद ने बताया कि 3 हजार आबादी वाली बड़ी बस्ती के ज्यादातर लोग 3 एकड़ में फैले तालाब पर सालों से निर्भर है। पानी नहीं भरने से तालाब से बदबू आ रहा है। संक्रमण का खतरा बना हुआ है। प्रतिनिधि मंडल जब आवेदन लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे तो कलेक्टर भगवान सिंह उईके के दो टूक के बाद निस्तार की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों को मायूस होकर बैरंग लौटना पड़ा। ग्रामीणों ने कहा कि जिले में सबसे बड़े दरबार में आकर मायूस लौटना पड़ रहा है। समस्या निदान नहीं हुआ तो कल के दिन में गांव में आक्रोश पनपेगा, जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी।

कृषि भूमि में बदल गया तालाब

गांव में मालगुजार के उत्तराधिकारियों द्वारा निस्तारी रोकने के बाद ग्रामीणों ने तालाब का रिकॉर्ड खंगालना शुरू किया। वरिष्ठ ग्रामीण एवं अधिवक्ता दशरथ निषाद ने बताया कि निकाले गए गोस्वारा रिकॉर्ड के मुताबिक 1954 में तालाब निर्माण हुआ था।1961 में जब सार्वजनिक स्थलों का सरकारीकरण किया जा रहा था तभी ग्राम के सभी सार्वजनिक स्थलों को तत्कालीन मालगुजारों ने अपने नाम से चढ़ा लिया। 1968 के रिकॉर्ड के मुताबिक 1980 तक रिकॉर्ड में जिस रकबे में तालाब का जिक्र था वह अचानक 1981 में कृषि भूमि तब्दील हो गया, जो तत्कालीन मालगुजार के वारिशों के नाम चढ़ गया। कृषि भूमि बताकर वारिशों ने तालाबों का भी बंटवारा कर लिया। प्रकरण एसडीएम न्यालय में चल रहा है। तमाम सबूतों की छानबीन जिस प्रशासन को करनी चाहिए वह आम नागरिक को सबूत मांग रहा है।

एसडीएम के निर्देश का भी नहीं किया पालन

ग्रामीण जून माह में कलेक्टर जनदर्शन में पहले भी आवेदन लगा चुके थे। तब कलेक्टर ने एसडीएम को जलभराव के निर्देश दिए थे। ग्राम पंचायत ने हैंडपंप से पानी भरने पाइप लगाया हुआ था, भरने की तैयारी थी पर मालगुजार के उत्तराधिकारो ने पाइप को फेंक दिया। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन के पास इस विषय को रखा पर सुनवाई नहीं हुई तो दोबारा जनदर्शन का सहारा लिया, लेकिन इस बार कलेक्टर का सुर बदला हुआ था.