तमिलनाडु के बाद महाराष्ट्र और अब पश्चिम बंगाल में भाषा विवाद का भूत पहुँच गया है. कुछ दिनों पहले तक महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर एमएनएस ने जमकर विवाद खड़ा किया था और अब बंगाली भाषा बोलने को लेकर बहस शुरू हो गई है. हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस पर बंगाली भाषा को ‘बांग्लादेशी भाषा’ बताने का आरोप लगाया था और इसे निंदनीय, राष्ट्र-विरोधी और असंवैधानिक बताया था. उन्होंने इसे सभी बंगाली भाषी लोगों का अपमान बताया था. इसका असर अब पश्चिम बंगाल के बीरभूम में देखने को मिला है.
रेल कर्मचारी से मंगवाई गई माफी
बीरभूम के सिउरी में रेलवे कर्मचारी से बंगाली न बोलने पर माफी मंगवाई गई. बांग्ला पोक्खो के महासचिव गर्ग चटर्जी पर बीरभूम में एक गैर-बंगाली रेलकर्मी से बंगाली न बोलने पर माफी मंगवाने का आरोप लगा है. उन्होंने सिउरी रेलवे स्टेशन पर एक प्रतिनिधिमंडल को भेजा था. इस दौरान बांग्ला पोक्खो के राज्य सचिव गर्ग चटर्जी भी मौजूद रहे. उन्होंने रेलकर्मी रवि प्रसाद वर्मा को बंगाली सिखाई और माफी भी मंगवाई.
वीडियो हो रहा सोशल मीडिया पर वायरल
इस दौरान का वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया है. खुद बांग्ला पोक्खो के एक्स अकाउंट पर इस वीडियो को शेयर भी किया गया. वीडियो में देखा जा सकता है कि वह रेलवे कर्मी से बंगाली में बात करने के लिए कह रहे हैं. वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा गया, “सिउरी स्टेशन पर एक बंगाली व्यक्ति को बंगाली भाषा में सेवा मांगने पर एक बाहरी रेलवे कर्मचारी ने अपमानित किया और उसकी नागरिकता के बारे में पूछताछ की. जब बंगाली व्यक्ति ने उसे घूरा, तो वर्मा जी ने बंगाली व्यक्ति से माफ़ी मांगी. वर्मा जी ने जिंदगी भर बंगाली भाषा में काम किया है, लेकिन उन्हें बंगाली का एक भी शब्द नहीं आता.”
चुनावी मैदान तैयार करने में जुटीं दीदी
बता दें कि, पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं, ऐसे में CM ममता बनेर्जी किसी भी हाल में सत्ता के लिए चुनौती बनने वाली किसी भी चीज को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने देखा कि, महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद को मूल मराठी जनता का किसी न किसी तरह से सपोर्ट मिल रहा है तो दीदी ने भी इस फॉमूले को आजमाने का फैसला कर लिया.
देश में चल रहा ऑपरेशन पुशबैक
वहीं आपको बता दें कि, देश में इस वक्त अवैध बांग्लादेशियो के खिलाफ ऑपरेशन पुशबैक जोर शोर से चलाया जा रहा है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देश में अवैध प्रवासियों को कतई बर्दाश्त ना करने की बात कही थी. उन्होंने इसे देश की डेमोग्राफी को बदलने की साजिश करार दिया था. इसका सबसे ज्यादा असर पश्चिम बंगाल और उससे लगे राज्य असम में देखने को मिल रहा है. हालांकि इस ऑपरेशन के दौरान कई बार देखा गया कि, स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा ने जोश-जोश में कुछ बंगाली भाषी भारतीय लोगों को भी बॉर्डर पार जबरदस्ती भेज दिया गया. इसे लेकर पुलिस को अच्छी खासी किरकिरी भी झेलनी पड़ी. लेकिन ममता दीदी ने इसे बंगाली अस्मिता से जोड़कर राजनीतिक बाजी चल दी.
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