कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बीते 3 साल, 507 केस और उनमें गवाही से जुड़ा पुलिस का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। हाल इससे समझ लीजिए कि 100 मामलों में तो ग्वालियर पुलिस कोर्ट में एक ही फर्जी गवाह पेश कर रही है। पढ़िए ये खास रिपोर्ट…
ग्वालियर के मुरार थाना क्षेत्र के त्यागी नगर का रहने वाला एसपी कुशवाह 100 पुलिस केस में गवाह है। मुरार पुलिस ने एसपी कुशवाह को पुलिस रक्षा समिति का कार्ड बनाकर दे दिया है। हैरत की बात है कि पुलिस रिकॉर्ड में एसपी कुशवाह 100 घटनाओं के दौरान घटना स्थल पर मौजूद गवाह है। एसपी कुशवाहा ने बताया कि मैं बेरोजगार हूं। पुलिस अपनी मर्जी से मुझे गवाह बना देती है।
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100 केस में एक गवाह
एसपी कुशवाहा के परिजन हैरान परेशान है कि उनके बेटे को पुलिस ने 100 केस में गवाह बना रखा है। बेटे की गवाही के लिए घर में अक्सर सरकारी कागज आते रहते हैं। लोगों से दुश्मनियां हो गई है। ऐसे में वह अब परेशान हो चुके हैं। पुराने मामलों में बेटा गवाही देने भी नहीं जा पाता।
एसपी कुशवाह

जज के ड्राइवर ने दी 16 केसों में गवाही
जिला न्यायालय के जज का निजी ड्रायवर मोनू जाटव 16 केसों में गवाही दे चुका है। मोनू ने तो 23 मिनट के अंतराल में आबकारी एक्ट के तीन मामलों में गवाह के रूप में दर्ज हुआ है। थाटीपुर के शिवाजी नगर निवासी पूरन राणा 4 केस में पुलिस में गवाह है। 2022 को महज 29 मिनट के अंदर 2 घटनाओं में गवाह के तौर पर मौजूद था। ऐसा माना जाता है कि वे गवाह आरोपी और फरियादी की डील होने पर 20 फीसदी रकम लेकर गवाही से मुकर जाते हैं।
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मोनू जाटव

आईजी ने कही ये बात
इस गंभीर मामले को लेकर IG अरविंद सक्सेना का कहना है कि घटना के दौरान मौके पर मौजूद ज्यादातर लोग पुलिस के सामने गवाही देने से कतराते हैं। ऐसे लोग कानूनी उलझनों से बचने के लिए गवाही नहीं देते। इन हालातों में पुलिस अपने परिचित गवाहों को केस में स्वतंत्र साक्षी के रूप में दर्ज करती है। लेकिन अब हमने सभी थाना प्रभारी को बताया है कि नए BNS एक्ट में घटना के दौरान वीडियोग्राफी कराई जाए, इससे पीड़ित पक्ष और वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर केस मजबूत होगा।
कई मामलो में जब स्वतंत्र साक्षी पर भी कोर्ट में पुलिस के पॉकेट गवाह होने का आरोप लगता है तो उन हालातो में BNS के नए रूल्स से जांच के साथ आरोपी को सजा दिलाने में मदद मिलेगी। IG सक्सेना का यह भी कहना है कि सभी थाना स्तर पर निर्देश दिए गए है कि वह BNS के साथ लोगों को जागरूक करें, ताकि घटनास्थल से या आसपास के इलाके का ही गवाह बनाया जा सके।
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पुलिस की ओर से फर्जी गवाह बनाए जाने से आपराधिक मामलों में कई स्तर पर लाभ होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि आरोपी और फरियादी पक्ष में डील होने पर ये गवाह भी 20 फीसदी रकम लेकर गवाही से मुकर जाते हैं। अब देखना होगा कि पुलिस, केस और गवाही के इन मामलों के सामने आने के बाद पुलिस कैसे अपने स्तर पर लोगों को जागरूक करते हुए स्वतंत्र गवाह बनाती है।
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