हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर जू (Indore Zoo) से भागा तेंदुआ 6वें दिन रेस्क्यू कर लिया गया है। इंदौर जू प्रबंधन और वन विभाग (Forest department) की टीम ने तेंदुए को रेस्ट हाउस के पास से रेस्क्यू किया। तेंदुए के रेस्क्यू के बाद प्रशासन ने राहत की सांस जरूर ली है, लेकिन अब भी तेंदुए के गायब होने के रहस्य से पर्दा नहीं उठा है। फिलहाल तेंदुए को इंदौर जू में शिफ्ट कर दिया गया है, जहां पर डॉक्टर्स की टीम उसका इलाज कर रहे हैं। 

 दरअसल पिछले गुरुवार को बुरहानपुर के पास नेपानगर से तेंदुए को लेकर वन विभाग के कर्मचारी इंदौर आ रहे थे। रात में ही जू के अफसरों से बात कर ट्रक को जू में खड़ा करवा दिया गया था। गुरुवार सुबह कर्मचारियों ने पिंजड़े को देखा तो तेंदुआ नहीं था। इसके बाद हड़कंप मच गया था। 

तेंदुए के पकड़े जाने के बाद जू प्रबंधन ने राहत की सांस ले रहे हैं। हालांकि सबसे बड़ा सवाल है कि तेंदुए के पिछले दोनों पैर पैरालाइज्ड होने के बावजूद वो कैसे इंदौर जू की 20 फीट ऊंची दीवार फांद सकती है। जू प्रभारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक मादा तेंदुए के पीछे के दोनों पैर पैरालाइज्ड है। उसे चलने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि इंदौर जू के पास बाउंड्री पर बनी दीवार है, जिनकी ऊंचाई लगभग 20 फीट के आसपास है। उन दीवार के ऊपर तार की फेंसिंग भी लगी हुई है। उन्हें फांद कर पैरेललाइज्ड तेंदुआ कैसे बाहर निकल गया। इस पर कई सवाल खड़े होते हैं।

वन विभाग और जू प्रबंधन की 200 लोगों की टीम तेंदुए को खोज रही थी 

तेंदुए को ढूंढने के लिए वन विभाग और जू प्रबंधन की 200 लोगों की टीम सर्चिंग करने में जुटी हुई थी। 6 दिनों बाद तेंदुआ को रहवासी क्षेत्र नवरतन बाग से वन विभाग और जो प्रबंधन ने तेंदुए को रेस्क्यू कर चिड़ियाघर लेकर आई। फिलहाल तेंदुए का इलाज किया जा रहा है। वहीं अब भी अपनी गलती मानने को अधिकारी तैयार नहीं है। ना ही वन विभाग के अधिकारी यह मानने को तैयार है कि उनके द्वारा जिस पिंजरे में तेंदुए को भेजा गया था वह पिंजरा ठीक स्थिति में था। दोनों ही विभाग के अधिकारी पूरे मामले की जांच की बात कर रहे हैं। पर गनीमत रहा कि इंदौर में 6 दिनों तक तेंदुआ घूमता रहा पर किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

जू प्रबंधन और वन विभाग ने लगाए एक दूसरों पर लापरवाही के आरोप

वन विभाग की टीम द्वारा बुरहानपुर नेपानगर से तेंदुए का रेस्क्यू कर कर उसे इलाज के लिए इंदौर चिड़ियाघर लेकर पहुंची थी। गुरुवार रात 8 बजे इंदौर चिड़िया घर पहुंच चुकी थी टीम ने वन विभाग के डीएफओ बुरहानपुर प्रदीप मिश्रा को फोन पर सूचना दे दी थी इसके बाद अधिकारियों ने जू प्रभारी डॉ. उत्तम यादव को फोन लगाकर तेंदुए के इंदौर पहुंचने की सूचना दी पर डॉक्टर उत्तम यादव ने स्टाफ ना होने की बात कहकर सुबह तेंदुए को देखने की बात कही। इसके बाद जब जू प्रबंधन सुबह तेंदुए को देखने गाड़ी के पास पहुंचा तो तेंदुआ पिंजरे में नहीं मिला। इसके बाद जू प्रबंधन और वन विभाग आमने-सामने हो गया था। जू प्रबंधन का कहना था कि तेंदुआ यहां तक पहुंचा ही नहीं है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना था कि जून में वन विभाग के अधिकारियों ने तेंदुए को पहुंचा दिया था। दोनों ही विभाग के अधिकारी अपनी गलतियां मानने को तैयार नहीं थे। वहीं तेंदुए के चिड़ियाघर के पास नवरतन बाग से मिलने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

सीएम के कार्यक्रम के दौरान वन विभाग की टीम कार्यक्रम स्थल पर था मौजूद

4 दिसंबर को शङर में हुए टंट्या भील बलिदान दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए थे। नेहरू स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में क लाख से अधिक संख्या में लोग शामिल हुए थे। न विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तेंदुए की निगरानी के लिए वन विभाग ने सीएम सभा स्थल के आसपास अपनी टीम तैनात की थी, जिससे  तेंदुआ सवाई स्थल तक ना पहुंच जाए। हालांकि  अब सवाल खड़े होते हैं कि जब तेंदुआ पैरालाइज था तो वह चिड़िया घर के बाहर कैसे गया।वहीं नवरतन बाग के वन विभाग गेस्ट हाउस के पास से ही रेस्क्यू किया गया।

वन मंत्री ने रविवार को किया था चिड़ियाघर का दौरा

वन मंत्री विजय शाह ने रविवार को इंदौर चिड़ियाघर का दौरा किया था। अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी जारी किए थे कि चिड़ियाघर के आसपस तेंदुए का पता लगाएं कहीं ऐसा तो नहीं हुआ था कि तेंदुआ इंदौर चिड़िया घर तक पहुंचा ही ना हो। इसे लेकर उच्च अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए थे। वन मंत्री विजय शाह के दिशा निर्देश के बाद आज तेंदुए को रेस्क्यू कर लिया गया। पर अब तक वन विभाग के किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अब तक किसी अधिकारी पर नहीं हुई कोई कार्रवाई 

तेंदुए को लेकर इंदौर पहुंची वन विभाग की टीम आरजू प्रबंधन की एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। इसे लेकर अब तक ना ही इंदौर नगर निगम ने जू प्रबंधन पर कोई कार्रवाई की और ना ही वन विभाग ने अपने अधिकारियों पर किसी प्रकार की अब तक कोई कार्रवाई की है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हर बार के रेस्क्यू में उन्हें एक अलग चीज सीखने को मिलती है। यह एक उनके लिए बड़ी सीख थी, जिसके बाद अब वह आगे से ध्यान रखेंगे कि पिंजरा किस तरीके का इस्तेमाल करना है। अधिकारियों के मुताबिक पिंजरा छोटा था. जिससे तेंदुआ बाहर निकल आया। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह तेंदुआ किसी को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में नहीं था इसलिए डरने की कोई बात नहीं है। हालांकि वन विभाग के अधिकारियों की इस बात से यह सवाल खड़े होते हैं कि लोगों की जान खतरे में डालने वाला वन विभाग अब तक अपने कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं करता दिखाई दे रहा है।

पिंजरों के रिपेयर पर वन विभाग हर सकता है लाखों रुपए खर्च 

दरअसल बुरहानपुर से जिस पिंजरे में तेंदुए को रेस्क्यू कर कर इंदौर लाया गया था उस पिंजरे की स्थिति सड़ी हुई थी। एक तरफ से पिंजरे कि जाली भी टूटी थी। जिससे तेंदुआ निकल कर भाग गया होगा। इन पंजों के रखरखाव के लिए हर 6 महीने में इंस्पेक्शन किया जाता है।  इस सेक्शन के दौरान खराब पिंजरों को रिपेयर या बदलने का काम किया जाता है। जिसमें लाखों रुपए का खर्च वन विभाग वाहन करता है। ऐसे में सवाल उठता है कि  पिंजरों के रखरखाव में लाखों रुपए का घोटाला भी हो सकता है।

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