Chalne Ke Tarike Se Jane Aapki Personality: आपके चलने का तरीका आपके व्यक्तित्व को दर्शाता है. क्या आप तेज़ चलने वाले हैं? धीमी गति से चलने वाला? लंबे डग भरो? अध्ययनों से पता चलता है कि हमारे चलने की शैलियाँ, कदम और गति सहित, हमारे व्यक्तित्व के बारे में कई महत्वपूर्ण लक्षण बता सकती हैं. यह जानने के लिए पढ़ें कि आपका चलने वाला व्यक्तित्व आपके बारे में क्या बताता है.

  1. यदि कोई व्यक्ति चलते समय नजर झुकाकर चलता है, तो इससे यही ज्ञात होता है कि इनके अंदर आत्मविश्वास तथा आत्मनियंत्रण की कमी है. जिंदगी के कुछ खराब अनुभवों ने इनका दिल दुखाया है. वे लोगों से ज्यादा मिलना-जुलना पसंद नहीं करते. वे स्वयं की काल्पनिक एवं सपनों को दुनिया में रहना पसंद करते हैं. इनके भीतर का आलस इन्हें कांतिहीन बनाता है. चिड़चिड़े स्वभाव के कारण ये बहुत कम लोगों से बात करते हैं तथा किसी से दिल की बात नहीं कह पाते हैं और बातचीत के दौरान कम बोलना पसंद करते हैं. घर, काम, नौकरी-व्यवसाय तथा रिश्तों आदि का बोझ सदैव इनके कंधों पर रहता है. ऐसे व्यक्ति अपनी परेशानियों तथा रुकावटों के जिम्मेदार अपनी परिस्थितियों तथा अन्य लोगों को समझते हैं.
  2. चलते समय किसी वस्तु आदि का उपयोग करना कई लोगों की आदत होती है. यदि कोई व्यक्ति इस श्रेणी में आता है, तो इससे यही पता चलता है कि वह अपने आप में कितना अकेलापन एवं असुरक्षित महसूस करता है. ये दोस्त बनाने तथा उनसे संपर्क बनाने में हिचकिचाते हैं और हर काम में नए बहाने तथा आसरे या आसान रास्ता खोजते हैं. ये खाली हाथ जरा सी भी दूरी तय नहीं कर सकते और हाथ में किसी सामान या वस्तु का होना अनिवार्य समझते हैं, जैसे पेंसिल, डायरी, किताब आदि से दिल की बात नहीं कह पाते हैं और बातचीत के दौरान कमबोलना पसंद करते हैं. घर, काम, नौकरी-व्यवसाय तथा रिश्तों आदि का बोझ सदैव इनके कंधों पर रहता है. ऐसे व्यक्ति अपनी परेशानियों तथा रुकावटों के जिम्मेदार अपनी परिस्थितियों तथा अन्य लोगों को समझते हैं.
  3. यदि कोई व्यक्ति हाथ खोलकर, हाथ हिलाते हुए चलता है, तो इससे यह जाहिर होता है कि वह व्यक्ति बहुत ही संवेदनशील, आत्मनिर्भर तथा आत्मविश्वासी है. बिना झिझके वह लोगों से बातचीत कर लेता है और किसी भी नए काम को करने में घबराता नहीं है. उसमें हर नए परिवर्तन तथा घटना को स्वीकारने की क्षमता होती है. झूठ और चालाकी से इन्हें सख्त नफरत होती है. इन्हें सीधी-सीधी बातों को सीधा-सीधा जवाब अच्छा लगता है तथा रहन-सहन में सफाई पसंद होते हैं.

4. यदि कोई व्यक्ति अपने हाथों को बगल में बांधकर या सटा कर चलता है, तो इसका अर्थ यह है कि वह जरूरत से ज्यादा स्वाभिमानी है. वह अपने नियम एवं उसूल आदि स्वयं बनाना पसंद करता है. ऐसे लोग बातों पर दृढ़ रहते हैं, किए गए वादों तथा वचनों को पूरा करने की कोशिश करते हैं. वे सुनते सबकी है, पर करते अपने मन की हैं. दूसरों की मदद लेने की बजाए अपनी समस्याएं स्वयं सुलझाना पसंद करते हैं. यदि वे एक बात के पीछे पड़ जाएं, तो इसकी जड़ तक पहुंच कर ही दम लेते हैं.

5. यदि किसी व्यक्ति के हाथ चलते वक्त खुले रहते हैं, पर हिलते नहीं हैं, तो इससे यह पता चलता है कि वह व्यक्ति गंभीर है. इनके भीतर मस्तिष्क में सदा कोई न कोई विचार चलता ही रहता है. एक साथ दो नावों पर सवार होने की कोशिश, इन्हें जीवन में विपरीत परिणामों से भर देती है. आत्मविश्वास की कमी के कारण ये ठीक समय पर ठीक नियोजन तथा निष्कर्ष निकलने में असमर्थ रह जाते हैं या फिर चूक जाते हैं. दूसरे की आलोचना तथा कार्य में कमी निकालना, इनकी आदत होती है.

6. यदि कोई व्यक्ति हाथ खोलकर चलता है और चलते समय उसके दोनों हाथों की मुठ्ठियां बंद रहती है, तो यह भीतर छुपी विभिन्न प्रतिभाओं को दर्शाता है. ऐसे लोग अपनी सक्रिय सोच के कारण देर-सबेर, जैसे-तैसे अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं. इनके विचार, रहन-सहन, आदतें, स्वभाव आदि आम आदमी से भिन्न होते हैं तथा इसके साथ-साथ जीवन के सुख-दुख, अनुभव, परिणाम भी कुछ हटकर होते हैं. इनके बोलने में एक चमत्कारिक शक्ति होती है, जो लोगों को सरलता से शीघ्र ही आकर्षित कर लेती है.

7. यदि चलते समय आंखों तथा चेहरा ज्यादा ही इधर-उधर हिलते रहते हैं, तो इससे यह ज्ञात होता है कि ऐसे व्यक्ति हमेशा कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहते हैं. इनकी महत्वाकांक्षाएं इन्हें अपने से वरिष्ठï एवं अनुभवी लोगों के साथ संपर्क बनाने के लिए उकसाती रहती है. ये जरूरत से ज्यादा निडर, साहसी एवं आत्मविश्वासी होते हैं. अपनी इच्छानुसार कार्य या वस्तु पाने के लिए इन्हें लंबा इंतजार करना चड़ता है. ये कई बार अपनी ऊर्जा एवं कार्यशक्ति का उपयोग ठीक दिशा में नहीं कर पाते.