नई दिल्ली . दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कहा कि दिल्ली में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना को लागू किया जाए. दिल्ली में योजना लागू नहीं होने से लाखों प्रवासी इसके लाभ से वंचित हैं. योजना लागू न होने के कारण वह योजना की सुविधाओं वंचित हैं. इस योजना को लेकर टीओबीआर के नियम 19(5) को लागू करते हुए फाइल को वापस ले लिया है.

राजनिवास के मुताबिक, उपराज्यपाल ने कहा कि वर्ष 2018 में सहमति और बजट 2020 में इसके कार्यान्वयन की घोषणा के बावजूद फाइल को मंजूरी देने में देरी की जा रही है. उपराज्यपाल ने नियमों का इस्तेमाल करते हुए फाइल वापस ले ली है.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उपराज्यपाल दिल्‍ली की जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पड़ोसी भाजपा शासित राज्यों के अस्पतालों में मरीजों की संख्या आयुष्मान भारत के तहत दिल्ली के अस्पतालों के बराबर है.

राजनिवास के अनुसार, उप राज्यपाल ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया है कि योग्य लाभार्थियों को राशन कार्ड जारी करने की सूची में आवेदक वर्ष 2018 से प्रतीक्षा कर रहे हैं, जबकि दस्तावेजों के अभाव में गंभीर बीमारियों से पीड़ित गरीब मरीज अन्य उपलब्ध योजनाओं के तहत भी स्वास्थ्य लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. एलजी सक्सेना ने एक फाइल नोटिंग में कहा, “मैं यहां इस ओर ध्‍यान आकर्षित कराने के लिए बाध्य हूं कि हमारे लोगों के स्वास्थ्य जितना महत्वपूर्ण मुद्दा केवल एक-दूसरे को ऊपर उठाने और श्रेय लेने के उद्देश्य से नासमझ राजनीति का शिकार हो गया है.”

उपराज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि 2018 के बाद से लगातार स्वास्थ्य मंत्रियों (सत्येन्द्र जैन, मनीष सिसोदिया और भारद्वाज) ने कम से कम छह मौकों पर “मामूली राजनीतिक बहाने” के आधार पर फाइल को रोक दिया, इस तथ्य के बावजूद कि श्रेय लेने के उनके उद्देश्य को शुरुआत में ही संबोधित कर दिया गया था. भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आयुष्मान भारत को किसी भी नाम के साथ जोड़ा जा सकता है, जो दिल्ली सरकार चाहेगी.

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि उपराज्यपाल आयुष्मान भारत योजना की जमीनी हकीकत को नहीं जानते हैं. कैग रिपोर्ट में सामने आ चुका है कि योजना में भारी गड़बड़ी हुई है. मरीजों का डेटा और प्राइवेट अस्पतालों की भागीदारी से जुड़ी कई समस्याएं सामने आ चुकी है, जिससे योजना पर व्यावहारिकता से जुड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम उपराज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वो स्टाफ की कमी और बकाया भुगतान की समस्या का जल्द समाधान करें, जिससे दिल्ली के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा सकें.