रोहित कश्यप, मुंगेली। ग्राम सिंगबांधा में किसान की बाड़ी में झाड़ियों के बीच पड़े नवजात को देखने वाले हर व्यक्ति की आँखें भर आईं. ऐसा प्रतीत हुआ जैसे किसी ने जीवन की शुरुआत को ही अस्वीकार कर दिया हो. परंतु इस मार्मिक स्थिति में जिला प्रशासन और बाल संरक्षण तंत्र ने जो तत्परता और संवेदनशीलता दिखाई, वह सराहना के योग्य है. यह मामला न केवल एक बच्चे के जीवन से जुड़ा था, बल्कि मानवता की परीक्षा भी थी.

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नवजात को अस्पताल में जांच के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया. समिति ने तय प्रक्रिया के तहत यह सुनिश्चित किया कि बालक को सुरक्षित, स्नेहमयी और पोषणयुक्त वातावरण प्राप्त हो. इसके लिए उसे विशेष दत्तक गृह में स्थानांतरित किया गया, जहां अनुभवी देखरेखकर्ता, स्वास्थ्य सेवा और मानसिक रूप से संबल देने वाली सुविधाएं मौजूद हैं.

समिति की अध्यक्षता में लिए गए निर्णय ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में बिना समय गंवाए संवैधानिक अधिकारों और सुरक्षा का पालन अनिवार्य है. नवजात को फिलहाल पूरी देखभाल मिल रही है, और भविष्य में दत्तक प्रक्रिया के माध्यम से उसे एक स्थायी परिवार मिलने की संभावना है.

यह प्रक्रिया न केवल बच्चे के पुनर्वास के लिए अहम है, बल्कि उसे एक सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर करती है. इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण इकाई ने सभी नागरिकों से अपील की कि यदि कहीं कोई परित्यक्त, असुरक्षित या संकटग्रस्त बालक दिखाई दे, तो चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर तत्काल संपर्क करें. समाज की जिम्मेदारी है कि वह हर बच्चे के जीवन, सुरक्षा और अधिकार की रक्षा करे , क्योंकि हर बच्चा एक संभावना है, एक भविष्य है.