विप्लव गुप्ता, पेंड्रा। सरकार के आदेश के बाद प्रदेश भर में आज से स्कूल खोल दिये गए हैं. पहले ही दिन विभिन्न विद्यालयों में प्रवेश उत्सव मनाया गया है. माला पहना कर बच्चों का स्वागत किया गया. वहीं गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के पेण्ड्रा विकासखंड से इसके विपरीत तस्वीर सामने आई है. विकासखंड के प्राथमिक शाला कंचनडीह में बच्चियों का स्वागत तो नहीं किया गया लेकिन उनसे गंदे बर्तन जरूरी धुलवाए गए. जहां पढ़ाई की तस्वीर आनी चाहिए वहां ये तस्वीर आने से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

गौरतलब है कि कोरोना काल के बाद शासन ने कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए विद्यालय खोलने के निर्देश दिए. जब लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ग्रामीण अंचलों के विद्यालयों की स्थिति जानने के लिए पहुंचे तो कंचनडीह विद्यालय में कक्षा तीसरी और चौथी में पढ़ने वाली बच्चियां हैंडपंप में विद्यालय के बर्तन मांजते हुए दिखाई दी. जब हमने स्कूल की यूनिफॉर्म में बर्तन मांजती हुई बच्चियों से इस बारे में जानकारी लेनी चाही तो बच्चों ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रधानपाठक ओट्टी सर ने उन्हें बर्तन मांजने का काम दिया है. सैकड़ों की संख्या में थाली और अन्य बर्तनों को धोती 9-10 साल की बच्चियों की तस्वीरों से शिक्षा विभाग में पदस्थ शिक्षकों की मानसिकता साफ-साफ सामने आ रही है.

इस पूरे मामले में हमने प्राथमिक शाला कंचनडीह के प्रधान पाठक रामप्रताप ओट्टी से बात की तो उन्होंने बताया कि बच्चों से सहयोग लिया जा रहा है. पूरे मामले का ठीकरा छोटी बच्चों के सिर पर भी फोड़ते हुए उन्होंने कहा कि वे खुद ही अपने मन से गंदे बर्तन मांज रही है. उन्हें किसी ने भी इस काम का आदेश नहीं दिया है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने इस काम को गलत तो बताया, लेकिन बार-बार अपना बचाव करते रहे और बार-बार कहते रहे कि यह सिर्फ सहयोग लिया जा रहा है.

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