अजयारविंद नामदेव, शहडोल: मध्य प्रदेश के शहडोल संसदीय क्षेत्र में चार जिलों शहडोल,अनूपपुर,उमरिया और कटनी की आठ विधानसभाएं शामिल है। 7 आदिवासी बाहुल्य सीटें है्, एक सामान्य है। एक पर कांग्रेस है, बाकी पर भाजपा के विधायक है। लोकसभा के 10  प्रत्याशियों में 8 अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के है। दो बड़े दल भाजपा-कांग्रेस जिनके बीच हमेशा से मुकालबा होता आ रहा है,उनके प्रत्याशी पुष्पराजगढ़ के ही है। इतना ही नहीं अधिकतर सांसद भी इसी क्षेत्र से बने हैं। इसके बाद भी पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के पहाड़ों के बीच रहने वाले आदिवासी बिजली,पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान है। 2019 के चुनाव में भाजपा से हिमांद्री सिंह सांसद बनी थी। इस बार भी वहीं मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने तीन बार के विधायक फु़ंदेलाल सिंह को मैदान में उतारा है। ये दोनों पुष्पराजगढ़ के ही है,लेकिन इन्होंने अपने गृह ग्राम के आदिवासियों का भी अपेक्षित विकास नहीं करा पाए। 

क्या है शहडोल का गणित

यहां की 79.25 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 20.75 फीसदी आबादी शहरी है। 44.76 अनुसूचित जनजाति और 9.35 अनुसूचित जाति के लोग हैं। वोटरों के संख्या की बात करें तो
संसदीय क्षेत्र-12 शहडोल में कुल 1774484 मतदाता हैं। 899911 पुरुष, 874553 महिला एवं अन्य 20 मतदाता हैं।  शहडोल संसदीय क्षेत्र में कुल 2199 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

अभी तक के सांसद

  • शहडोल संसदीय क्षेत्र के पहले सांसद – रिपु दमन सिंह रहे
  • 1962 – बुद्धू सिंह -सोशलिस्ट
  • 1967- गिरजा कुमारी -कांग्रेस
  • 1971 – धन सिंह -कांग्रेस
  • 1977- दलपत सिंह परस्ते-  भारतीय लोक दल
  • 1980 – दलवीर सिह -कांग्रेस
  • 1984 – दलवीर सिह- कांग्रेस
  • 1989 – दलपत सिंह परस्ते – जनता दल
  • 1990- दलपत सिंह – जनता दल
  • 1991 –  दलवीर सिह -कांग्रेस
  • 1996 – ज्ञान सिंह- बीजेपी
  • 1998 – ज्ञान सिंह -बीजेपी
  • 1999 – दलपत सिंह – बीजेपी
  • 2004 –  दलपत सिंह – बीजेपी
  • 2009 – राजेश नंदिनी-  कांग्रेस
  • 2014 – दलपत सिंह – बीजेपी
  • 2016- ज्ञान सिंह – बीजेपी  उप चुनाव बाई इलेक्शन
  • 2019 – हिमाद्री सिंह – बीजेपी

शहडोल लोकसभा सीट में आती है इतनी विधानसभा

शहडोल मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के 29 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है । इसमें संपूर्ण अनूपपुर और उमरिया जिले और शहडोल और कटनी जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। संसदीय क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में शहडोल जिले का 84-जयसिंहनगर (अजजा), 85-जैतपुर (अजजा), अनूपपुर जिले का 86-कोतमा (अजजा), 87-अनूपपुर (अजजा), 88-पुष्पराजगढ़ (अजजा), 89-बाँधवगढ़ (अजजा) और 90-मानपुर (अजजा) तथा कटनी जिले का 91-बड़वारा (अजजा) शामिल  शामिल हैं।

शहडोल में बेजेपी-कांग्रेस दोनो पड़ोसी उम्मीदवार आमने सामने

शहडोल संसदीय क्षेत्र में इस बार भी पुष्पराजगढ़ से ही दोनों बड़े दल भाजपा-कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने सांसद हिमाद्री सिंह को लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस से पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह ने नामांकन भर दिया है। पिछले 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार का चयन दूसरे क्षेत्र से पूर्व भाजपा विधायक प्रमिला सिंह के रूप में उतारा था, लेकिन जीत नहीं मिली। प्रमिला सिंह ने भाजपा से बगावत करके कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ा था। मोदी लहर में उन्हें हिमाद्री सिंह ने हराया था।

पिछले चुनाव में  4,5 लाख वोट के ज्यादा अंतर से अपनी जीत कराई थी दर्ज

हिमाद्री सिंह को शिक्षित युवा महिला नेत्री होने का बड़ा फायदा मिला है। निर्विवाद छवि के साथ साथ रायशुमारी में भी हिमाद्री का नाम सबसे पहले था। पिछले चुनाव हिमाद्री ने 4,5 लाख वोट के ज्यादा अंतर से अपनी जीत दर्ज की थी। उन्होंने काफी प्रयास कर शहडोल से नागपुर तक की ट्रेन चलवाई, पासपोर्ट ऑफिस समेत कई काम कराए, जिससे क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा हुआ है। हिमाद्री सिंह का पूरा परिवार कांग्रेसी था। उनके पिता दलवीर सिंह कांग्रेस से सांसद रहते हुए केंद्र सरकार में दो बार मंत्री रहे। उनकी मां राजेश नंदिनी भी कांग्रेस से सांसद रही हैं।

जातिगत समीकरण

शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। क्षेत्र में आदिवासियों के साथ अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं की तादाद भी आधे से ज्यादा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक शहडोल क्षेत्र के तहत 44.76 फीसदी आबादी आदिवासी वर्ग की है। इसके साथ क्षेत्र में 9.35 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की है। इन दोनों वर्गों के मतदाता भाजपा-कांग्रेस में बांटते हैं लेकिन ज्यादा भाजपा के पक्ष में ही जाते हैं। आदिवासी वर्ग का कुछ वोट गोंगपा भी ले जाती है। इसके बाद क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की तादाद 30 फीसदी के आसपास है। यह वर्ग ज्यादा तादाद में भाजपा के पक्ष में ही जाता है। कांग्रेस को पिछड़ों के साथ कुछ सवर्णों का वोट मिलता है।

कांग्रेस प्रत्याशी फुन्देलाल सिंह मार्को का इतिहास

1984-84:- छात्र अध्यक्ष चुना गया, कॉलेज पुष्पराजगढ़। 

1985-87:- उपाध्यक्ष युवा कांग्रेस पुष्पराजगढ़।

1987-93:- जनजातीय विभाग द्वारा शासित एचएस स्कूल राजेंद्रग्राम में सहायक शिक्षक।

1994-99:- जिला पंचायत शहडोल, जिला-शहडोल के सदस्य निर्वाचित।

1999-04:- जिला पंचायत शहडोल के सदस्य एवं उपाध्यक्ष निर्वाचित।

2000-01:- अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस कमेटी पुष्पराजगढ़।

2001-04:- अध्यक्ष मप्र आदिवासी विकास परिषद जिला-शहडोल।

2004-08:- जिला पंचायत अनूपपुर, जिला-अनूपपुर के सदस्य निर्वाचित।

2007-10:-पुष्पराजगढ़ मनरेगा के ब्लॉक प्रभारी।

2012-13:-महामंत्री मप्र आदिवासी विकास परिषद भोपाल।

2004 से निरंतर:- अध्यक्ष मप्र आदिवासी विकास परिषद जिला-अनूपपुर

2007 से आगे:- उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी अनूपपुर।

2007 से आगे:-पुष्पराजगढ़ विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के प्रभारी।

2013-18:- विधायक पुष्पराजगढ़ विधानसभा।

2018- :- विधायक पुष्पराजगढ़ विधानसभा।

2023:  विधायक पुष्पराजगढ़

बेरोजगारी मुख्य मुद्दा

8 विधानसभा वाली शहडोल संसदीय क्षेत्र में बेरोजगारी मुख्य मुद्दा है। रोजगार की तलाश में आज भी ग्रामीण क्षेत्र से आदिवासी वर्ग के लोग रोजगार की तलाश में परिवार सहित परदेस पलायन कर रहे है। विकास के नाम पर आज भी  ऐसे कई गांव है, जहां आजादी की 75 साल बीत जाने के बाद भी बिजली को लोग तरस रहे। 

शहडोल संसदीय क्षेत्र में बीजेपी का पलड़ा भारी

बात करे इस लोकसभा चुनाव की तो लोग मोदी के नाम पर वोट देने को तैयार है, शहडोल में लाडली बहाना योजना का इस चुनाव में असर दिख रहा है। राम मंदिर निर्माण को लेकर लोग भाजपा कें पक्ष वोट डालने को तैयार है।  इस  हैसियत से भाजपा को शहडोल लोकसभा से बढ़त मिलने की ज्यादा सम्भवना है । कभी कांग्रेस का गढ़ रही शहड़ोल लोकसभा में भाजपा ने कब्जा कर लिया है। क्षेत्र में कांग्रेस ने ऐसे कोई काम नही किये जिससे जनता उन्हें वोट देगी। 

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