स्पेशल डेस्क, भोपाल। Lok Sabha Election Second Phase: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान की प्रक्रिया जारी है। एमपी में दूसरे फेस की छह सीटों पर वोटिंग होगी। जिसमें दमोह (Damoh Lok Sabha election) लोकसभा सीट भी शामिल है। इस लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने राहुल सिंह लोधी तो वहीं कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को चुनावी मैदान में उतारा है। आइए जानते है दमोह संसदीय सीट का सियासी समीकरण…
दमोह लोकसभा सीट
मध्यप्रदेश के दमोह लोकसभा क्षेत्र (Damoh Lok Sabha seat) की सबसे बड़ी पहचान यहां स्थित बुंदेलखंड का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बांदकपुर में स्थित भगवान जागेश्वर नाथ का मंदिर और जैन तीर्थ क्षेत्र कुंडलपुर है। पर्यटन के लिए यहां नौरदेही अभ्यारण के साथ ही कई किले और प्राचीन मंदिर स्थित हैं।
लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें
दमोह लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा आती हैं। जिसमें दमोह जिले की 4 विधानसभा क्षेत्र – दमोह, पथरिया, हटा, नोहटा, छतरपुर जिले की 1 विधानसभा क्षेत्र – बड़ा मलहरा और सागर जिले की 3 विधानसभा क्षेत्र – गढ़ाकोटा, देवरी, बंडा शामिल है।
शुरुआती दौर में कांग्रेस का रहा दबदबा
दमोह लोकसभा सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का दबदबा रहा है। जिससे पहले 6 चुनाव में 5 बार कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे और 1977 में सिर्फ एक बार जनता पार्टी के प्रत्याशी ही कांग्रेस को हराने में सफल हुए।
BJP ने लगातार 9 बार जीतकर बनाया अभेद किला
बीजेपी ने दमोह लोकसभा सीट पर पहली बार वर्ष 1989 में जीत हासिल करने के साथ ही हर बार दमोह सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करती गई और लगातार 9 बार जीतकर अपना अभेद गढ़ बना चुकी है। जो तोड़ना कांग्रेस के लिए एक कड़ी चुनौती बन गई है।
दमोह लोकसभा ने दिया केंद्रीय मंत्री
दमोह से 2 बार सांसद बनने वाले प्रहलाद सिंह पटेल केंद्र सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें नरसिहपुर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में टिकट दिया। जहां से वे विधायक बनकर मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए। जिससे उन्हें दमोह सांसद पद से लोकसभा चुनाव 2024 के कुछ महीनों पहले त्याग पत्र देना पड़ा।
ये हैं प्रमुख मुद्दे
दमोह संसदीय क्षेत्र मध्यप्रदेश का सबसे पिछड़े इलाकों में जाना जाता है। यहां रोजगार के पर्याप्त साधन उपलब्ध ना होने के कारण यहां बेरोजगारी और पलायन की समस्या सबसे अधिक है। लोकसभा क्षेत्र पलायन के लिए पहचाने जाने वाले इस अंचल को लेकर यहां के राजनेता कई बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र रहे हैं।
Damoh का जातिगत समीकरण
दमोह में लोधी और कुर्मी पटेल मतदाता बाहुल्य क्षेत्र है। लोधी, कुर्मी मतदाताओं ने इस सीट को BJP के अभेद्य किले के रूप में तब्दील कर दिया। यही कारण है कि साल 1989 के चुनाव में भाजपा के लोकेंद्र सिंह, फिर लगातार चार बार 1991, 1996, 1998, 1999 में कुर्मी पटेल समाज से आने वाले बीजेपी के रामकृष्ण कुसमरिया और उसके बाद 2004 से लेकर 2019 अब तक लगातार लोधी समाज से आने वाले BJP प्रत्याशी चुनाव जीतते आ रहे हैं।
2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने फिर से लोधी समाज से आने वाले राहुल सिंह लोधी को चुनावी मैदान में उतारा है। तो वहीं कांग्रेस ने भी तरवर सिंह लोधी को टिकट दिया है। दोनों प्रत्याशियों के किस्मत आज 26 अप्रैल को कैद होगी। अब देखना होगा कि दमोह के इस सियासी दंगल में किसका मंगल होगा। राहुल सिंह लोधी या तरवर सिंह लोधी किसके भाग्य का पिटारा खुलता है, यह तो 4 जून 2024 को आने वाले परिणाम से ही पता चल सकेगा।
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