पंकज सिंह भदौरिया, दंतेवाड़ा। बस्तर लोकसभा सीट के लिए आज मतदान चल रहा है. दंतेवाड़ा जिले का एक गांव गदापाल, इस गांव के ग्रामीण भी आज मतदान कर रहे हैं. सुबह से ही ग्रामीण यहां कतार में लग कर अपने मताधिकारों को प्रयोग कर रहे हैं. नक्सल तंत्र के खिलाफ लोकतंत्र के लिए मतदान कर रहे लोगों के पैर ठिठक गए. नजरें जो एक बार घूमी थी फिर वो सीधी न हो पाई, जैसे वक्त चंद लम्हों के लिए थम सा गया. लोगों ने जो देखा उन्हें उस पर यकीन ही नहीं आया दरअसल वहां एक ऐसा परिवार मतदान करने पहुंचा था जिसने दो दिन पहले ही एक बड़े नक्सली विस्फोट में अपने परिवार के जवान सदस्य को खो दिया था.

भीमा मंडावी का परिवार

जिस शख्स को उस परिवार ने खोया था वह शख्स उस गांव के लोगों के लिए किसी हीरो से कम नहीं था. हम बात कर रहे हैं दंतेवाड़ा के दिवंगत विधायक भीमा मंडावी के परिवार की. नक्सली ब्लास्ट में शहीद हुए भीमा मंडावी की कल ही अंत्येष्टि की गई थी. उनकी चिता की राख अभी ठंडी भी नहीं हो पाई थी.

भीमा मंडावी की पत्नी

पिता को अपने बेटे का गम और पत्नी को पति को खोने के दुख के आंसू थमे भी नहीं थे. परिवार ने इस दुख की घड़ी में भी मजबूत लोकतंत्र के लिए अपने नागरिक अधिकारों को भूले नहीं और नम आंखों से वोट डालने मतदान केन्द्र पहुंच गए. मंडावी के पिता और उनकी पत्नी ओजस्वी मंडावी लाइन में लगकर अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए वोट डाला.

 

आपको बता दें दो दिन पहले ही कुआकोंडा इलाके श्यामगिरी गांव से भाजपा विधायक भीमा राम मंडावी का काफिला गुजर रहा था. उसी दौरान नक्सलियों ने मंडावी के काफिले में आईईडी ब्लास्ट किया था. इस ब्लास्ट में मंडावी, उनका ड्राइवर और गाड़ी में मौजूद तीन पुलिस जवान भी शहीद हो गए थे. 5 लोगों की हत्या के बाद पूरे प्रदेश में शोक की लहर थी. नक्सलवाद के प्रति गुस्सा था और कई जगह से मतदान रद्द करने की आवाज भी उठ रही थी. इस घटना के बावजूद

आज लोकतंत्र की यह एक ऐसी घटना थी जिसका गवाह वहां मौजूद लोगों के साथ बस्तर भी बना जो उन लोगों के लिए एक उदाहरण है जो लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते और उनके लिए भी जो मजबूत लोकतंत्र के लिए अपने मताधिकारों का इस्तेमाल नहीं करते.