Loksabha Elections 2024:  महाराजगंज. उत्तर प्रदेश की अति पिछड़ा बाहुल्य महाराजगंज सीट पर दो चौधरी अपनी चौधराहट बरकरार रखने में जुटे हैं. एक चौधरी हैं वर्तमान सांसद और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी, तो दूसरे हैं कांग्रेस विधायक वीरेंद्र चौधरी. इनके बीच बसपा प्रत्याशी मौसमे आलम भी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कवायद में जुटे हैं.

नेपाल सीमा से सटा महाराजगंज जिला काफी पिछड़ा हुआ है. जिला मुख्यालय से ज्यादा नेपाल बॉर्डर का कस्बा नौतनवा, सोनौली ज्यादा गुलजार दिखता है. जंगलों से घिरे इस जिले में कभी तीन चीनी मिलें, किसानों के लिए वरदान होती थीं लेकिन अब बंद पड़ी हैं. हर साल आने वाली बाढ़ भी इस जिले को और पीछे ले जाती रही है. आजादी के बाद से यह जिला भी कांग्रेस का गढ़ होता था. महान शिक्षाविद और संविधान सभा के सदस्य शिब्बन लाल सक्सेना भी इसी सीट से कई बार संसद पहुंचे थे. दुनियाभर में प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी के अत्यंत करीबी रिश्तेदार शिब्बन लाल सक्सेना इस जिले की पहचान हुआ करते हैं. 1991 में जब देश में रामलहर चली तो उसी समय गोरखपुर के रहने व वाले पंकज चौधरी ने महराजगंज को अपनी कर्मभूमि बनाया.

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कुर्मी बिरादरी का बड़ा कार्ड

गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर फरेंदा से कांग्रेस के विधायक वीरेंद्र चौधरी पर दांव लगाया गया है. वीरेंद्र चौधरी यूपी में कांग्रेस के दो विधायकों में से एक हैं. पंकज और वीरेंद्र दोनों ही कुर्मी बिरादरी से आते हैं. महराजगंज में अति पिछड़ों की संख्या अधिक है, जिनमें कुर्मी सबसे ज्यादा हैं. इसके बाद दलितों, ब्राह्मण मुस्लिम मतदाता भी हैं, लेकिन बिखराव के कारण उनका मत निर्णायक नहीं हो पाता है. दलितों व मुसलमानों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो एक बड़ी ताकत उभरकर सामने आती है. शायद इसीलिए बसपा ने मोहम्मद मौसमे आलम पर दांव खेला है.

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मोदी ने बढ़ाया पंकज का कद

महराजगंज के सांसद पंकज चौधरी को पिछले मंत्रिमंडल विस्तार में मोदी सरकार ने जगह दी और उन्हें वित्त राज्यमंत्री बनाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना कार्यक्रम और प्रोटोकॉल को तोड़कर पंकज के घर जाकर उनका कद जरूर बढ़ा दिया.