धमतरी- सरकार गांव-गांव और शहर को जोड़ने सड़कों के जाल बिछाने की दंभ भरती नजर आती है. लेकिन जमीनी हकीकत क्या है इसका अंदाजा धमतरी जिले में हीरापुर और रावणसिंगी गांव को जोड़ने वाली एकमात्र नदी की रपटा सड़क को देखकर ही लगाया जा सकता है. नदी की पुल जर्जर होने की वजह से कई जगह बड़े-बड़े पत्थर उभरे हुए हैं, तो वहीं कई जगह गहरे गड्ढे भी बन गए हैं. जो कि इस रास्ते से गुजरने वाले लोगों के लिए कभी भी जानलेवा साबित हो सकते हैं.

दरअसल ये तस्वीर है धमतरी जिले के सिहावा इलाके के बालको नदी पर बने रपटे का है. जहां स्कूली और राहगीरों के लिए राह आसान नहीं है. नदी के खतरनाक रपटे को देख कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. दो अलग-अलग गांव को जोड़ने वाली राह को लेकर ग्रामीण भी लंबे समय से परेशान हैं. शिकायत के बाद भी अब तक कोई पहल नहीं हुई है.जिसके चलते बच्चों के साथ-साथ राहगीरों को भी रोजाना खतरों के बीच सफर तय करना पड़ता है. वहीं अब ग्रामीणों को नई सरकार से उम्मीद की किरण नजर आ रही है.

बता दें कि सिहावा इलाके के बालको नदी में बना खतरनाक रपटा जो कि हीरापुर और रावणसिंगी गांव को जोड़ता है. और यह मार्ग गांव वालों का आने जाने का मुख्य जरिया भी है. लेकिन खतरनाक रपटे से गुजरना किसी के लिए भी आसान नहीं है. इस बालको नदी की जर्जर पुल से ग्रामीण के साथ-साथ रोजाना छोटे-छोटे मासूम स्कूली बच्चों को भी इसी खतरनाक राह से ही होकर गुजरना पड़ता है. बताया जाता है कि चार साल से नदी का यह रपटा जर्जर हालत में है. हालांकि दोनों गांव के लोगों ने इसकी शिकायत कई बार की, पर किसी ने भी उनकी एक नहीं सुनी. ग्रामीणों की मांग है कि पुल में सुधार किया जाना चाहिए या तो नए पुल का निर्माण किया जाए. इसी मार्ग से रोजाना स्कूल जाने वाले बच्चों का कहना है कि स्कूल जाना जरूरी होता है. लेकिन रास्ता जोखिम भरा है, और पढ़ाई करना जरूरी है लिहाजा इसी रास्ते से होकर रोजाना गुजरना मजबूरी बन गई है. इधर प्रशासन जल्द ही ग्रामीणों सहित स्कूली बच्चों की समस्या को दूर करने का भरोसा दिलाया.


ग्रामीणों को सबसे ज्यादा समस्या बारिश के दिनों में उठानी पड़ती है. यहां बारिश के दिनों में संपर्क टूट सा जाता है. आलम ये है कि कुछ पालक अपने छोटे बच्चों को साइकिल में बिठाकर स्कूल तक छोड़ने जाते हैं. और स्कूल के छूट्टी होने के बाद बच्चे को लेने भी जाते हैं. वहीं ग्रामीणों को इस नई सरकार से उम्मीद की किरण नजर आ रही है. बहरहाल अब देखना होगा कि ग्रामीणों की मांग कब तक पूरी हो पाती है.