पंकज सिंह भदौरिया,दंतेवाड़ा. बस्तर के बीहड़ो के जंगल में स्थित हैं भगवान भोलेनाथ. जिनके दर्शनों के लिए महाशिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में राज्य और राज्य के बाहर के श्रद्धालु कठिन रास्तों को पार करते हुए हर साल पहुँचते हैं. ये भक्त पथरीली पगडंडी, जंगलों से भरे रास्ते, कई नदियों नालों को पार कर तुलार धाम पहुँचते हैं. इस क्षेत्र के नक्सल प्रभावित होने के बाद भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु बिना किसी डर के भगवान भोलेनाथ का दर्शन करते हैं.
तुलार धाम पहुँचने के लिए दन्तेवाड़ा से 32 किलोमीटर बारसूर और बारसूर से 5 किलोमीटर बाईक से फिर मुचनार घाट तक पहुँचा जा सकता है. फिर 17 किलोमीटर पैदल कठिन पहाड़ों, नदियों और घने जंगलों को 3 से 4 घण्टे का सफर तय कर तुलार गुफा तक पहुँचा जा सकता है. भक्तगण रास्तों की दिक्कतों की परवाह किये बिना इन्द्रावती नदी को पैदल पार कर, साइकलों और एक दूसरे के सहारे बाइकों से रोमांच भरे सफर को तय कर दर्शनों के लिए पहुँचते हैं लेकिन धाम तक पहुंचने के पहले इन रास्तों पर नक्सलियों के शहीद स्मारक साफ तौर पर दिखाई देते हैं. इसके बाद बाद भी भक्तों की भीड़ बिना किसी डर और भय के पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ भगवान भेलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. आपको बता दें कि यह अबूझमाड़ का इलाका वह इलाका है जो नक्सल प्रभावित है और यहां जगह जगह नक्सली स्तम्भ खड़े दिखाई देते हैं. मतलब इन इलाकों में फोर्स की आमद शून्य है. इसके वावजूद हर साल हजारों की संख्या में महिला पुरूष, बच्चे,बूढ़े और दिव्यांग सभी बड़ी ही आस्था के साथ तुलार धाम में भोलेनाथ के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.
तुलार पहुंचने के बाद यहाँ की खूबसूरती, प्रकृति के बीच गुफा के अंदर स्थित शिवलिंग, शिवलिंग में प्रकृति द्वारा किया जाने वाला बारहमासी प्राकृतिक जलाभिषेक देखते ही बनता है. यहां की अनुपम प्राकृतिक खूबसूरती देख आपकी सारी थकान दूर हो जाएगी. यहां पहुँच कर आपको ये लगने लगेगा कि इस सृष्टि में अगर कहीं जन्नत है तो, वो यहीं है. तुलार की वादियों में है.
तुलार धाम में स्थित गुफा की लंबाई तकरीबन 70-80 मीटर है. जिसके प्रवेश द्वार की ऊँचाई 20-25 मीटर है. पूरे गुफा में सिर्फ एक ही जगह पर 12 महीने चट्टानों से पानी रिसता रहता है. उसी जगह पर स्थित है भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग. तुलार धाम पूरे बस्तर में एकलौती ऐसी जगह है, जहां बारह महीने प्रकृति द्वारा शिवलिंग का जलाभिषेक होता है. ये किसी को भी पता नहीं है कि यह पानी आता कहाँ से है. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु इस पानी को बोतल में लेकर घर ले जाते हैं. इन श्रद्धालुओं का ये मानना है कि इस जल के उपयोग से शरीर में हड्डी के जोड़ों में होने वाला दर्द दूर होता है और साथ ही इस जल के घर में छिड़काव से घर का शुद्धीकरण होता है.
जो पिछले 10-15 सालों से विशेष मौकों यहां पहुँचते हैं उनका ये मानना है कि तुलार में शिवलिंग पर जो जल रिसता है वो गंगा जल जैसा पवित्र है. ये जल पूरे साल भर भी बोतल में बंद करके रखा जाए तो खराब नहीं होता है. कई भक्तों का ये भी मानना है कि तुलार में स्तिथ शिव जी उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. साथ ही भोले बाबा निःसंतान दम्पत्तियों की मुरादें पूरी करते हैं और संतान की भी प्राप्ति होती है. एक अंधी महिला पिछले 8 सालों से भगवान शिव के दरवार में आंखे मांगने आ रही है. यहां पहुंचने वाले भक्तों का कहना है कि तुलार का रिसता जल गंगाजल की तरह पवित्र है. गुफा बर्फानी बाबा की तरह है साल भर जलाभिषेक शिव लिंग पर होना चमत्कार है.वहीं भक्तों ने प्रशासन से भी मांग की है कि यहां पर सड़क का निर्माण कराया जाये जिससे भक्तों को भगवान भोलेनाथ के दर्शन में आसानी हो सके.
देखिये वीडियो…
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