Lord Krishna 16,108 Wives: श्रीकृष्ण की 16,108 रानियों का विषय हमेशा से चर्चा और विवाद का विषय रहा है. कई लोग इसे गलत समझते हैं, लेकिन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, इन रानियों की उत्पत्ति और उनकी भूमिका गहरी आध्यात्मिकता से जुड़ी है.

क्या श्रीकृष्ण ने वास्तव में 16,108 विवाह किए थे?

पत्नी का अर्थ है अर्धांगिनी, जिसके साथ विवाह की रस्में निभाई गई हों और गृहस्थ जीवन की शुरुआत हुई हो. परंतु, श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी के अलावा किसी अन्य रानी के साथ गृहस्थ जीवन नहीं बिताया. उन्होंने 16,100 रानियों को केवल लोकलाज और सम्मान देने के लिए अपनाया था, न कि पारिवारिक जीवन जीने के लिए.

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कैसे बनीं ये रानियां? (Lord Krishna 16,108 Wives)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर नामक राक्षस ने 16,100 कन्याओं को बंदी बना लिया था. जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया, तो उन कन्याओं की इज्जत बचाने के लिए उन्होंने उन्हें अपनी रानी का दर्जा दिया. समाज उन्हें तिरस्कृत न करे, इसीलिए श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना नाम दिया.

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ये रानियां किसका अवतार थीं?

भागवत पुराण के अनुसार, ये रानियां वास्तव में उन ऋषियों के रूप में जन्मी थीं, जिन्होंने हजारों वर्षों तक भगवान विष्णु की तपस्या की थी. उन्होंने वरदान मांगा था कि वे द्वापर युग में श्रीकृष्ण से प्रेम प्राप्त करें और उनके साथ रहें. उनके इस वरदान को पूर्ण करने के लिए श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी रानियों के रूप में स्थान दिया.

रानियों का अंतिम क्या हुआ? (Lord Krishna 16,108 Wives)

श्रीकृष्ण के देहत्याग के बाद, ये रानियां वन में तपस्या करने चली गईं और पुनः अपने असली स्वरूप—ऋषियों के रूप में लौट आईं. देवी भागवत के अनुसार, इन ऋषियों की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई थी, जिससे ये शिवांश माने जाते हैं.

इस प्रकार, श्रीकृष्ण की 16,108 रानियों का रहस्य केवल लौकिक विवाह तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य कथा है जो भगवान विष्णु और शिव से गहराई से जुड़ी हुई है.