Delhi High Court On Lord Shiva: भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की जरूरत नहीं है। हमें उनका आशीर्वाद चाहिए। ये बातें दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना नदी (Yamuna River) के बाढ़ क्षेत्र में मौजूद एक अवैध शिव मंदिर को गिराने के खिलाफ की याचिका पर भगवान शिव को पक्षकार बनाने से इनकार करते हुए कही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यदि यमुना नदी के तलहटी क्षेत्र और बाढ़ वाले इलाकों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाता है तो भगवान भोलेनाथ (Lord Bholenath) अधिक प्रसन्न होंगे।

बिहार में 16 शिक्षकों को मिली ‘Bed’ performance की सजा, शिक्षा विभाग का लेटर वायरल
दिल्ली के गीता कॉलोनी के पास और यमुना बाढ़ के मैदानों के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर को गिराने की दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए DDA) की कार्रवाई के विरुद्ध दायर याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने कहा कि अदालत ने कहा कि हम लोगों को उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद चाहते हैं।
एक्ट्रेस नेहा मर्दा के घर में लगी भीषण आग, तीन घंटे में सबकुछ हो गया खाक
जस्टिस धर्मेश शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा आधे-अधूरे मन से दी गई यह दलील कि मंदिर के देवता होने के नाते भगवान शिव को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए। उसके सदस्यों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए पूरे विवाद को एक अलग रंग देने का एक हताशाजनक प्रयास है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि भगवान शिव को हमारे संरक्षण की जरूरत नहीं है, बल्कि, हम और लोग उनसे सुरक्षा और आशीष चाहते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर यमुना नदी के तलहटी क्षेत्र और डूब वाले इलाकों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाता है तो भगवान शिव अधिक खुश होंगे।
गोल्ड स्मलिंग करते शशि थरूर का PA गिरफ्तार, दिल्ली एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने पकड़ा
कोर्ट ने 15 दिन का दिया समय
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सोसायटी भूमि पर अपने स्वामित्व, अधिकार या हित के संबंध में कोई दस्तावेज दिखाने में पूरी तरह विफल रही है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मंदिर का कोई ऐतिहासिक महत्व है। अदालत ने कहा कि सोसायटी को मंदिर में रखी मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को हटाने और उन्हें किसी अन्य मंदिर में स्थानांतरित करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है।
Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक