सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए लगाये गए लॉकडाउन ने कई लोगों का रोज़गार छीन लिया. रायपुर के प्रकाश पात्रे भी उनमें से एक है, पात्रे ई-रिक्शा चलाया करते थे. लोगों को एक चौराहे से दूसरे तक पहुंचाकर मिलने वाले रुपए से परिवार का गुजारा करते थे, लेकिन लॉकडाउन ने रोज़गार का ये ज़रिया छीन लिया.

रोज़गार जाने के बाद घर में खाने और किराया देने के लिए पैसे नहीं थे. परिवार में ऐसा वक्त भी आया जब इनकी दो साल की बेटी के लिए खाने की चीजें नहीं थीं. लॉकडाउन में प्रकाश ने ई-रिक्शा पर ही जनरल स्टोर बनाने की सोची. जिसके बाद छोटी सी ई-रिक्शा ही जनरल स्टोर में बदल गई.

इस मिनी स्टोर में टूथ ब्रश, किचन के छोटे औजार जैसी दर्जनों चीजें मिलती हैं. 5 रुपए से लेकर 100 रुपए तक जरूरत का सामान इस ई-रिक्शा में लोगों को मिल जाता है. प्रकाश कहते हैं कि मज़बूरी में ये जुगाड़ करना पड़ा, लेकिन रायपुर के लोगों के लिए ये चलता फिरता ये स्टोर अचरज का विषय जरूर है.

प्रकाश पात्रे बताते हैं कि ई-रिक्शा से कमाई नहीं हो रही थी, इसलिए ई रिक्शा में ही जनरल स्टोर खोलने का फैसला लिया, क्योंकि एक समय ऐसा भी था जब खाने के पैसे भी नहीं थे, इसलिए सोचा कि कुछ करना चाहिए, इस वजह से ये नया आइडिया सोचा, नए व्यवसाय से थोड़ी राहत जरूर हैं लेकिन अब भी प्रकाश पात्रे का तीन महीने का किराया बकाया है.

प्रकाश पात्रे ऐसे लोगों के लिए उदाहरण है, जो लोग कोरोना और लॉकडाउन की वजह से हताश होकर घर में बैठे हैं.

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