मनुस्मृति में लिखा है कि कोई व्यक्ति उसे जन्म देने व पालन-पोषण के लिए माता-पिता द्वारा उठाए कष्टों का ऋण 100 वर्षों में नहीं उतार सकता, इसलिए माता-पिता और शिक्षक को प्रसन्न करने के लिए जो भी संभव हो, करना चाहिए. इसके बिना कोई धार्मिक पूजा फलदायी नहीं होती. कर्नाटक हाईकोर्ट ने ‘मनुस्मृति’ का हवाला देते हुए ये लाइनें कही.
19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा के पिता ने अपनी बेटी के लापता होने की बात बताते हुए याचिका दायर की थी. पिता ने कोर्ट से अपनी बेटी की कस्टडी उन्हें सौंपने की गुहार भी लगाई. इंजीनियरिंग की छात्रा ने एक ड्राइवर से शादी की है. अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि बेटी नाबालिग नहीं है और उसे अपनी पसंद के युवक से शादी करने का अधिकार है.
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वयस्क लड़की को पति के साथ रहने देने का आदेश देते हुए कर्नाटक हाइकोर्ट ने ये भी लिखा कि
प्रेम अंधा होता है, इसके आगे माता-पिता का वात्सल्य भी कुछ नहीं. हालांकि लड़की को भी बताया कि जैसा वह आज अपने माता-पिता के साथ कर रही है, कल उसके साथ भी हो सकता है. जब आपस में प्यार की कमी होती है, तब ऐसी परिस्थितियां सामने आती हैं.
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