विक्रम मिश्र, लखनऊ. लखनऊ नगर निगम की पहली जिम्मेदारी शहर की साफ-सफाई और बेहतर जीवन शैली का माहौल देना है. लेकिन शायद इस पायदान पर नगर निगम लखनऊ खरा नहीं उतरना चाह रहा है. क्योंकि उनके कर्मचारियों को तेल के खेल में ज्यादा ही मजा आने लगा है.
बरसात में नगर निगम परिक्षेत्र में बरसाती पानी उत्पात मचाता है तो ठंड में समय से जलाने वाली लकड़ियां सड़को और चौराहों पर उपलब्ध नहीं होती है. तो वहीं आए दिन कूड़े के उठाव के लिए जनता से लेकर पार्षद और पार्षद से महापौर तक को आवाज उठानी ही पड़ती है. इन सबकी व्यवस्था नगर निगम को ही करनी होती है.
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पहले भी हो चुका है तेल का खेल
साल 2015-16 में नगर निगम के आरआर विभाग ने लगभग 20 करोड़ का तेल सिर्फ 3 महीनों में फूंक दिया था. उस समय उदयराज सिंह नगर आयुक्त लखनऊ और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा वर्तमान राज्यसभा सांसद हुआ करते थे. कार्रवाई की जब बात आई तो तत्कालीन संविदा कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर रस्मअदायगी कर दी गई थी और जानकर हैरानी होगी कि आज तक ये मामला ठंडे बस्ते में ही पड़ा हुआ है.
6 महीने में ही खपा दिया सालभर का बजट
लखनऊ नगर निगम 8 जोन है जिसमें तकरीबन 5 जोन की सीमा अन्य की तुलना में ज़्यादा है. जिसमे कूड़े उठाव के साथ सड़को की सफाई और वातावरण और स्मोग को काबू में रखने के लिए स्प्रिंकलर के लिए नगर निगम लखनऊ अपने सालाना बजट में प्रावधान रखता है. बाकायदा सदन में इस बजट पर संस्तुति ली जाती है फिर ही अंतिम मुहर लगाई जाती है.
लखनऊ नगर निगम का साल 2024-25 का बजट 22 करोड़ रुपये था जबकि 3 करोड़ रुपये विविध और अन्य कार्यो के लिए रखे गए थे. लेकिन नगर निगम के टप्पेबाजों ने तो साल भर का बजट 6 महीने में ही खपा दिया.
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