अमृतसर. लुधियाना नगर निगम चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। हालाँकि आम आदमी पार्टी (AAP) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन फिर भी निगम की सत्ता पर काबिज होने के लिए उसके पास स्पष्ट बहुमत नहीं है। इस स्थिति में चर्चा चल रही है कि कांग्रेस और भाजपा मिलकर 1992 का इतिहास दोहरा सकते हैं। उस समय नगर निगम के पहले चुनावों में भी किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था।

1992 का मॉडल : साझा कार्यकाल

1992 में, कांग्रेस के समर्थन से यह तय हुआ था कि दोनों पार्टियां ढाई-ढाई साल के लिए मेयर नियुक्त करेंगी। इसके तहत वरिष्ठ भाजपा नेता चौधरी सतप्रकाश को मेयर बनाया गया था। अब एक बार फिर कांग्रेस और भाजपा के बीच ऐसा ही गठजोड़ होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

अभी क्या है हालात

चुनाव के नतीजों में AAP को 95 वार्डों में से 41 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 30, भाजपा को 19, और अकाली दल को 2 सीटें प्राप्त हुईं। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में सफल रहे। इस बीच, कांग्रेस और भाजपा दोनों की हाईकमान के फैसले का इंतजार है।
हालाँकि कांग्रेस मेयर पद की मांग कर रही है, लेकिन डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर के पद भाजपा को देने की बात चल रही है। दूसरी ओर, भाजपा भी मेयर पद अपने पास रखना चाहती है।

हाई कोर्ट के आदेश पर हुए चुनाव

नगर निगम का कार्यकाल खत्म होने के लगभग डेढ़ साल बाद, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशों के तहत पंजाब सरकार ने चुनाव कराए। चुनाव की प्रक्रिया के लिए बहुत कम समय दिया गया था।

गठजोड़ पर असमंजस

कांग्रेस जिला अध्यक्ष संजय तलवाड़ ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया है कि लुधियाना में कांग्रेस का मेयर बनेगा। इससे पहले चर्चा थी कि कांग्रेस और आप मिलकर मेयर बनाएंगे, लेकिन तलवाड़ के बयान के बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच 32 साल पुराने मॉडल को लागू करने की अटकलें तेज हो गई हैं।

भाजपा-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष-विपक्ष

भाजपा जिला अध्यक्ष रजनीश धीमान ने कहा कि गठबंधन की संभावनाओं को लेकर हाईकमान को सूचित किया गया है। पार्टी हाईकमान के निर्देश के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
हालाँकि, कांग्रेस के सांसद रवनीत बिट्टू और भाजपा नेता विजय रूपानी ने गठजोड़ को लेकर विरोध जताया है। बिट्टू ने कहा कि भाजपा एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएगी, और कांग्रेस के साथ समझौता करना उनके सिद्धांतों के खिलाफ है।