भोपाल। इस भागती-दौड़ती जिंदगी, व्यस्तताओं और तनाव भरे जीवन में लोग शांति की तलाश करते है। इसके लिए एक मात्र स्थान करुणाधाम आश्रम है। दरअसल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में करुणाधाम आश्रम में स्थापित माता महालक्ष्मी के सौम्य स्वरूप के दर्शन से जो शांति मिलती है, उसका अनुभव मां के दर्शन के बाद ही कर सकते हैं। आश्रम परिसर का मनोहारी दृश्य और वहां की सकारात्मक ऊर्जा से व्यथित मन शांत होता है।

आश्रम परिसर में मिलती है मन को शांति

पीठाधीश्वर गुरूदेव सुदेश जी शाण्डिल्य महाराज के मार्गदर्शन में बना अत्याधुनिक करुणाधाम आश्रम हर समुदाय के लोगों की श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है। आश्रम में 14 हजार वर्गफीट तक बने श्रीयंत्र की तर्ज पर आधारित मंदिर में मां महालक्ष्मी साक्षात विद्यमान हैं। भोपाल शहर में मां महालक्ष्मी का इसे केवल एक ही स्थान कहने पर भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। परिसर में गौरी पुत्र श्री गणेश और रामप्रिय हनुमान जी के साथ शीतला माता भी विराजमान हैं। आश्रम में 25 जुलाई, 2015 को एक भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव कर श्री विग्रह की स्थापना की गई थी। परिसर में ही ‘गुरु देवालय’ का नया भवन निर्माणाधीन है। इसमें मां श्रीमती दुर्गादेवी शांडिल्य के साथ ब्रह्मलीन गुरुदेव श्री बालगोविंदजी शांडिल्य महाराज की मूर्ति स्थापित होगी।

आश्रम परिसर का मंदिर षटकोणीय आकार, श्रीयंत्र और मानव शरीर के मेरुदंड से ब्रह्मरंध्र तक के कुल 7 चक्र के आधार पर बना है। गर्भ-गृह को मूलाधार चक्र के साथ ही शिखर तक स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा एवं सहस्रार चक्र स्वरूप दिया गया है। इस नये मातृ शक्ति साधना को केंद्र को ‘ईशावास्यम्’ के नाम से स्थापित किया गया है। आश्रम में मंदिर का भूमि-पूजन वर्ष 2009 में किया गया था। मंदिर का भू-तल 25 मार्च, 2014 को बनकर तैयार हुआ, जो अब वातानुकूलित करुणेश्वरी मण्डप के रूप में पहचाना जाता है। वर्ष 2015 में 6 फीट ऊंची (मां महालक्ष्मी) की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। मंदिर निर्माण राजस्थान, गुजरात और चैन्नई के कारीगर द्वारा किया गया है। मंदिर के शिखर की ऊंचाई 142 फीट है। इसमें जो पत्थर लगाये गए है, उसे जयपुर से लाया गया है।

करुणाधाम आश्रम का उद्देश्य

करुणाधाम आश्रम के उद्देश्यों में धर्मभीरू प्राणियों को धर्मप्रेमी बनाना, निराश्रित वृद्धों के लिये वृद्धाश्रम की स्थापना, प्रौढ़ शिक्षा, निर्धन व्यक्तियों के लिये नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श, सांस्कृतिक विश्व बंधुत्व और विश्व कल्याण की भावना। आश्रम में वर्तमान में नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श केंद्र है। आश्रम की गतिविधियों की जानकारी के लिये वेबसाइट भी लॉग ऑन की जा सकती है।

मुक्ति और गति वाहन

करुणाधाम आश्रम में शव-यात्रा के लिये मुक्ति-वाहन और गति नामक एंबुलेंस संचालित है। इन वाहनों का संचालन 28 मार्च, 2012 से किया जा रहा है। दोनों वाहन जन-सामान्य के लिये आश्रम परिसर में उपलब्ध रहते हैं। आवश्यकता होने पर टेलीफोन नंबर 2778888 पर संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

गौ-संरक्षण

आश्रम परिसर में गौ-संरक्षण एवं संवर्धन केंद्र भी बनाया गया है। ‘मधुसूदन’ के नाम से संचालित गौ-संरक्षण और संवर्धन केंद्र में 50 से अधिक गिर, साहीवाल और अन्य देशी गाय हैं। गाय से मिलने वाले दूध का उपयोग प्रसादी में किया जाता है।

गरीबों के लिये प्रतिदिन नि:शुल्क भोजन

गुरूदेव श्री शाण्डिल्य महाराज कहते है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। इसी को ध्यान में रखकर आश्रम परिसर में प्रतिदिन गरीब, असहाय लोगों को भोजन करवाने की भी व्यवस्था निरंतर चल रही है। यहां रोजाना 300 से 400 लोगों को भोजन बांटा जाता है। जन-सामान्य भी परिजन के जन्म-दिन, पुण्य-स्मरण आदि पर सहयोग राशि देकर भोजन वितरण करवाते हैं।

नर्मदा तट ग्वाड़िया में आश्रम

नर्मदा परिक्रमा करने वालों की सेवा और उनकी सुविधा की दृष्टि से ‘करुणाधाम आश्रम, भोपाल’ द्वारा पुण्य सलिला माता नर्मदा के सुरम्य तट पर ग्राम ग्वाड़िया, तहसील बुदनी में एक विशाल आश्रम का निर्माण करवाया गया है। दस एकड़ के आश्रम में एक भव्य शिवालय भी निर्मित किया गया है, जिसमें 9 मई, 2011 में नर्मदेश्वर प्रतिष्ठित किये गये हैं। ग्वाड़िया आश्रम में निर्माण की आरंभिक प्रक्रिया में मां नर्मदा के तट पर एक सुंदर घाट निर्माणाधीन है। तीर्थ-यात्री, माताओं-बहनों और भाइयों के स्नान के लिये अलग-अलग स्थान नियत होंगे। आश्रम में ठहरने के लिये दस सुंदर कुटिया का निर्माण किया गया है। यहां एक बड़ा कक्ष भी निर्मित किया गया है, जिसमें तीर्थ-यात्रियों का बड़ा समूह ठहर सकता है। एक बड़ी कुटिया भोजनालय के रूप में भी विकसित की गई है, इसमें पंक्ति भोज की सुविधा रखी गई है।

करुणाधाम आश्रम ग्वाड़िया की भविष्य की योजनाएं विस्तृत हैं। आश्रम के पीठाधीश्वर गुरुदेव सुदेश शाण्डिल्यजी महाराज ने अपने सह्रदय चिंतन और अनंत आध्यात्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण को व्यावहारिक रूप में परिणित करने के लिए मां नर्मदा के तटस्थल इस आश्रम को समाज-सेवा, आध्यात्म और संस्कार का केंद्र स्थापित किया है। यहां साधना-स्थली, परिक्रमावासियों के लिए सदाव्रत एवं उनके विश्राम और प्राथमिक उपचार की व्यवस्थाएं सतगुरु देवालय, माता कालरात्रि का भव्य मंदिर, प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, गौ-शाला, संस्कृत विद्यालय और होम्योपैथिक चिकित्सालय आदि का निर्माण प्रस्तावित है। करुणाधाम आश्रम ग्वाड़िया घाट निश्चित ही एक अद्वितीय साधना-स्थली है। यहां एकांतवास कर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचय किया जा सकता है।

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