राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण के मतदान के नजदीक आते-आते चुनावी माहौल में राजनीति का तापमान बढ़ गया है। दिग्गजों के एक दूसरे पर जुबानी हमले तेज हो गए हैं। इसी बीच कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर बीजेपी ने विपक्ष को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के मेनिफेस्टो में संपत्ति सर्वे कराने के वादे पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि हम किसी एक वर्ग के लिए नहीं हो सकते हैं। सभी वर्गों का संसाधन पर हक होता है। केवल एक वर्ग का संसाधन पर हक होना यह कौन सी बात है।
सीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के स्पीच को लेकर कहा कि उस समय के पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था, संसाधन पर पहला हक है तो मुसलमानों का है। यह बात बहुत निंदनीय है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में इसी बात को दोहराया है। हम इसकी निंदा भी करते हैं और उम्मीद करते हैं इस बात के लिए कांग्रेस देश से माफी मांगे। यह जो वर्तमान समय चल रहा है, हमने कल का दृश्य और कांग्रेस का मेनिफेस्टो देखा जिसमें जो बातें जोड़ी गई हैं। इस बात को लेकर कांग्रेस का स्वभाव होता है कि वे पलटी मारते हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, कांग्रेस पहले अपनी बात कर देती है फिर उसे छिपाने का प्रयास करती है। हम उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस बजाय यहां वहां की बात करने के देश से माफी मांगें कि उनका यह जो दृष्टिकोण है। लेकिन जो कांग्रेस ने लिखकर दिया है उनके मेनिफेस्टो में कुछ छिपा नहीं है। चुनाव की बेला में आशा है कि जनता के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
क्या है पूरा मामला
कांग्रेस के घोषणा पत्र जारी होने के बाद राहुल गांधी ने एक जनसभा में कहा था कि हम पहले यह निर्धारित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना करेंगे कि कितने लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उसके बाद धन के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के तहत हम एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएंगे।
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प्रधानमंत्री ने भी किया था जुबानी प्रहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल सोमवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि जनता के धन और देश की संपत्ति की लूट को कांग्रेस अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती है। कांग्रेस माओवादी नीति को भारत में लागू करके देशवासियों की संपत्ति के साथ ही हमारी माताओं-बहनों के मंगलसूत्र पर भी पंजा मारना चाहती है। कांग्रेस के शहजादे (राहुल गांधी) का कहना है कि उनकी सरकार आई तो किसके पास कितनी संपत्ति है उसकी जांच कराएंगे। आगे कहते हैं कि इन संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में लेकर उसे सबको बांट देगी। ये उनका मेनिफेस्टो कह रहा है।
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खड़गे ने मांगा पीएम से मिलने का समय: सूत्र
अब कांग्रेस को घिरता हुआ देखकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी से मिलने का वक्त मांगा है। बताया जा रहा है कि वे प्रधानमंत्री को कांग्रेस का घोषणा पत्र सौंपेंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि वोटर्स को भड़काने का काम न करें।
क्या है पूरा मामला, जिस पर हो रही सियासत
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 9 दिसंबर 2006 को एक भाषण दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था, ”मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं- कृषि, सिंचाई-जल, संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढ़ाचे में महत्वपूर्ण निवेश और सामान्य बुनियादी ढ़ाचे के लिए सार्वजनिक निवेश की जरुरतें, साथ ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम.”
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था, ”अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए योजनाओं को पुनर्जीवित करने की जरुरत है. हमें नई योजना लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुस्लिमों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके. इन सभी का संसाधनों पर पहला दावा है. केंद्र के पास बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं और ओवर-ऑल संसाधनों की उपलब्धता में सबकी जरुरतों का समावेश करना होगा.”
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