शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटी है. अब बुंदेलखंड का रण जीतने के लिए कांग्रेस ने आस्था के जरिए वोट पाने की रणनीति बनाया है. कांग्रेस 27 जुलाई को ओरछा में हरदौल जन्मोत्सव पर बड़ा आयोजन करेगी. बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में हरदौल लाला की पूजा होती है. बुंदेलखंड के अधिकतर गांव में हरदौल का चबूतरा बना है. चबूतरे पर मांगलिक कार्य से पहले पूजा-अर्चना होती है.

कमलनाथ को मिला न्योता, तैयारियां तेज

कांग्रेस नेता एवं राजपरिवार के वंशज विश्वजीत सिंह जूदेव ने कमलनाथ को कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है. हरदौल जन्मोत्सव की कार्यक्रम को लेकर तैयारियां तेज कर दी गई है. भगवान राम को बाल रूप में ओरछा लाने वाली रानी के वंशज कार्यक्रम कराएंगे. ओरछा की रानी के वंशज विश्वजीत सिंह जूदेव कांग्रेस पार्टी के सदस्य है. हरदौल ओरछा के राजा वीर सिंह जूदेव के बेटे थे.

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बुंदेलखंड की 26 सीटों में से 17 पर बीजेपी और 7 पर कांग्रेस

बता दें कि 2018 चुनाव में बुंदेलखंड की 26 सीटों में से 17 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिली थी. इसलिए कांग्रेस इस बार पहले से ही बुंदेलखंड जीतने के लिए चुनावी तैयारी कर रही है. कांग्रेस नेता और राजपरिवार के वंशज विश्वजीत सिंह जूदेव ने कमलनाथ को कार्यक्रम में बुलाया है. इस बहाने वोटरों को भी साधने का काम किया जाएगा.

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आखिर क्यों है हरदौल आस्था का केन्द्र ?

बुंदलेखंड में भाई-बहन के रिश्ते की एक कहानी बुंदेलखंड में प्रसिद्ध है, जो करीब 400 साल पहले ओरछा के दीवान रहे हरदौल और उनकी बहन कुंजावती से जुड़ी हुई है. हरदौली की मौत हो गई थी. मृत्यु के बाद बहन कुंजावती जब अपने दूसरे भाई को शादी कार्ड देने गई, तो उन्होंने कहा कि आप हरदौल की समाधि पर पहुंचकर अपनी बेटी की शादी में आने का न्योता दें.

जब कुंजावती समाधि पहुंची और रोने लगी, तब बहने के रोने के बाद हरदौल वहां प्रकट हुए और वादा किया कि वे अपनी भांजी की शादी में आएंगे. जब शादी हुई थी, तो हरदौल ने अदृश्य होकर अपनी भांजी की शादी में भात दिया. इसके बाद से ही बुंदेलखंड के हर घर में शादी के पहले हरदौल के चबूतरे पर जाकर निमंत्रण दिया जाता है और बिना किसी रूकावट के कार्यक्रम संपन्न कराने की प्रार्थना की जाती है.

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