दमोह। दमोह भारत के मध्य प्रदेश का एक मुख्य शहर है। इसे मध्य प्रदेश में पांचवां सबसे बड़ा शहरी समूह माना जाता है। दमोह अपने जैन तीर्थ स्थल कुंडलपुर में बड़े बाबा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। बुंदेलखंड के दमोह जिले का ब्रिटिश हुकूमत से भी पुराना नाता है। इसका जीता जागता प्रमाण आज भी शहर की पहाड़ी पर बने सर्किट हाउस के रूप में नजर आता है।

ब्रिटिश हुकूमत से दमोह जिले का पुराना नाता है। बाहर से आए अंग्रेज अधिकारी दमोह में ही ठहरा करते थे। इसका जीर्णोद्धार सन्न 1899 में शासन द्वारा करवाया गया। उस वक्त का बना दमोह का सर्किट हाउस शहर में प्राचीन धरोहर के रूप में आज भी मौजूद है।

सर्किट हाउस काफी ऊंचीपहाड़ी पर स्थित है। जिसकी वजह से यहां की छटा काफी निराली नजर आती है। इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने के उद्देश्य से तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र सिंह ने लगभग 50 लाख रुपए की राशि खर्च करके सर्किट हाउस में तीन अलग अलग स्थानों पर कलाकृतियां बनवाई थी।

सर्किट हाउस में विद्युत सज्जा का इंतेजाम भी किया गया था। इसके पीछे का कारण शहरवासी रात के अंधेरे में भी कलाकृतियों का आनंद ले सके। इसके साथ ही दमोह का नोहलेश्वर मंदिर, सिंगरामपुर झरना, नोहटा, सिंगरगढ़ किला आदि के लिए भी जाना जाता है।

शहर की पहाड़ी से दमोह का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। वहीं अगर आपको सर्किट हाउस तक जाना है तो आपको करीब 2 किलोमीटर तक कि चढ़ाई करनी पड़ेगी। साथ ही सर्किट हाउस पहुंचने से कुछ ही कदम पर दाईं ओर देखने पर एक झीलनुमा पानी भराव नजर आता है उस झील के नजीक ही एक प्राचीन हनुमान मंदिर भी है।

इस पहाड़ी की ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि यहां से आप पूरे शहर का दीदार कर सकते है।आसपास हरे पेड़ पौधों होने की वजह से यहां का वातावरण बहुत ही शांत है।

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