हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश इंदौर के सांवेर विधानसभा सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। 1985 से दो चुनाव छोड़कर हर चुनाव लड़ने मंत्री तुलसी सिलावट के चेहरे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी है। एक बार फिर ग्रामीण सिलावट का गांव में इंतजार कर रहे हैं, जहां उन्होंने सड़क और पुल बनवाने के लिए हाथ में जल उठाकर कसम खाई थी। कांग्रेस ने यहां से घर वापसी करने वाले पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू की पुत्री रीना सेतिया को उतारा है।

कांग्रेस ने इंदौर की नौ विधानसभा सीटों में से अपनी 6 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। भाजपा ने पांच प्रत्याशियों को मैदान में खड़ा किया है। जिसमें से एक बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी है। वहीं इंदौर की एक नंबर विधानसभा सीट के साथ देपालपुर और सांवेर सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलने वाला है। सांवेर विधानसभा सीट की अगर बात की जाए तो यहां से कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट कांग्रेस से लगातार अपनी जीत दर्ज करते आए हैं। दो चुनाव छोड़कर 1985 से हर चुनाव जीते हैं।

साल 2018 में कांग्रेस से जीतने के बाद नवंबर 2020 में सत्ता परिवर्तन कर बीजेपी का दामन थाम लिया। केंद्रीय मंत्री सिंधिया के समर्थक तुलसी सिलावट की चिंताएं साफ तौर से देखी जा सकती है कि उनके बेटे चिंटू सिलावट कभी कलश बांट कर मतदाताओं को कसम खिलाते, तो कहीं मंत्री हाथ में जल लेकर पिछली बार की तरह कसम खाते नजर आ रहे हैं। सांवेर विधानसभा के एक गांव में जब lalluram.com की टीम ने बात की तो उन्होंने अपना नाम सामने लाने से मना कर दिया।

इसी गांव में मंत्री ने 2018 के चुनाव के वक्त हाथ जोड़कर वोट मांगने के साथ सड़क बनाने की बात कही थी। इसके साथ ही कहा था कि सड़क पर पुल गिफ्ट किया जाएगा। लेकिन ना मंत्री नजर आए और ना सड़क और नहीं पुल। इसके बाद हुए उपचुनाव में मंत्री गांव में पहुंचे और हाथ में जल लेकर ग्रामीणों के सामने हनुमान मंदिर में कसम खाई थी।

सिलावट के लिए ग्रामिणों में गुस्सा
अब ग्रामीण उनसे काफी नाराज़ है। यहां से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू की बेटी मैदान पर है। वे पिछले लंबे समय से सक्रिय है। प्रेमचंद गुड्डू पहले कांग्रेस में रहे इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और फिर घर वापसी कर कांग्रेस में आ गए। वहीं 2020 का सांवेर से चुनाव लड़े प्रेमचंद गुड्डू खुद भी बेटी के साथ आलोट से अपनी दावेदारी कर रहे थे। कांग्रेस ने एक ही टिकट देने की बात कही जिसके बाद पिता और बेटी के बीच सुलह हुई। रीना को सांवेर से प्रत्याशी घोषित कर दिया। सांवेर की जनता प्रत्याशी को ऊपरी मन से तो पसंद कर रही है। जनता 17 नवंबर को मशीन का बटन दबाकर ही बताएगी।

1985 से तुलसीराम सिलावट दो चुनाव छोड़कर हर चुनाव लड़ रहे हैं। प्रकाश सोनकर 1990 और 1993 में बीजेपी से दो बार लगातार चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी है। सिलावट के नाम अनोखा रिकार्ड है। वह 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी तौर पर चुनाव जीते तो फिर नवंबर 2020 उपचुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी तौर पर चुनाव जीते। सिलावट को जिस चुनाव में नुकसान पहुंचाने का डर था उन्हीं को संगठन ने दायित्व देकर जीत दिलवाई।

जानें कब कब यहां बीजेपी और कांग्रेस आई

  • 1980- बीजेपी के प्रकाश सोनकर जीते, कांग्रेस के राधाकिशन मालवीय हारे
  • 1985- कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट जीते, बीजेपी के प्रकाश सोनकर हारे
  • 1990- बीजेपी के प्रकाश सोनकर जीते, कांग्रेस के सिलावट हारे
  • 1993- बीजेपी के प्रकाश सोनकर जीते सोनकर जीते, कांग्रेस के सिलावट हारे
  • 1998- कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डु जीते, बीजेपी के प्रकाश सोनकर हारे
  • 2003- बीजेपी के प्रकाश सोनकर जीते, कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय हारे
  • 2008- कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट जीते, बीजेपी की निशा सोनकर हारी
  • 2013- बीजेपी के राजेश सोनकर जीते, कांग्रेस के सिलावट हारे
  • 2018- कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट जीते और बीजेप के राजेश सोनकर हारे
  • 2020 (उपचुनाव)- बीजेपी से तुलसीराम सिलावट जीते, कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डु हारे
  • 2023 के चुनाव में बीजेपी से तुलसीराम सिलावट और कांग्रेस से रीना सैतिया चुनाव में आमने-सामने होंगे

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