भोपाल: शिवराज सरकार द्वारा आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान जेल में बंद रहे नेताओं को दी जा रही मीसाबंदी पेंशन पर कमलनाथ सरकार ने फिलहाल रोक लगा दी है. अब प्रदेश भर के मीसाबंदियों (लोकतंत्र सेनानी) का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा और उसके बाद पात्र लोगों को ही सम्मान निधि भुगतान की प्रक्रिया का पुनर्निधारण होगा. इससे पहले हर माह की पहली तारीख को मंत्रालय के सामने होने वाले वंदेमातरम समूह गायन पर भी सरकार ने फिलहाल रोक लगा दी है. मध्य प्रदेश में फिलहाल 2000 से ज्यादा मीसाबंदी 25 हजार रुपये मासिक पेंशन ले रहे हैं. साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसा बंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया. बाद में पेंशन राशि बढ़ाकर 10000 रुपये की गई. साल 2017 में मीसा बंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25000 रुपये की गई. इस पर सालाना करीब 75 करोड़ का खर्च आता है.

भौतिक सत्यापन के बाद ही हो सकेगा सम्मान राशि का वितरण

कमलनाथ सरकार ने सभी संभाग कमिश्नर और जिला कलेक्टरों को आदेश जारी कर जनवरी माह से लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि राशि का वितरण भौतिक सत्यापन के बाद ही करने के निर्देश दिए हैं. इस आदेश की जद में प्रदेश के सभी 2600 लोकतंत्र सेनानी और उनके परिजन आ गए हैं, जिन्हें बीते एक दशक से अधिक समय से हर माह सम्मान निधि दी जाती थी. पेंशन रोके जाने के फैसले से लोकतंत्र सेनानी संघ और बीजेपी नाराज है.

कई राज्यों में दी जाती है सम्मान निधि

लोकतंत्र सेनानी संघ का कहना है कि मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में सम्मान निधि दी जाती है. उत्तरप्रदेश में इससे पहले मायावती सरकार के दौरान सम्मान निधि को रोका गया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक के बाद फिर से वितरण करना पड़ा. राजस्थान में भी ऐसे ही प्रयास जयपुर हाईकोर्ट से खारिज हो गए थे. मध्यप्रदेश में जयप्रकाश नारायण लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि संबंधी अधिनियम भी विधानसभा से पारित है. इसे रोकना किसी भी तरह उचित नहीं है.

बजट प्रावधान से अधिक राशि खर्च होने का है मामला

लोकतंत्र सेनानी संघ का कहना है कि इस मामले में वह जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाएगा. पिछले सालों में लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि के भुगतान में बजट प्रावधान से अधिक राशि खर्च होने और इस पर महालेखाकार के लेखा परीक्षण प्रतिवेदनों में आपत्ति आने और लोकलेखा समिति के सामने बजट प्रावधान से ज्यादा व्यय पर विभाग को स्थिति स्पष्ट करने में आने वाली कठिनाई को जीएडी ने भौतिक सत्यापन कराने का आधार बताया है.

 

निधि के वितरण पर तत्काल प्रभाव से लगी रोक

सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार लोक लेखा समिति की अनुशंसा पर बजट से अधिक खर्च की गई राशि के नियमन के लिए विधानसभा में पुनः विधेयक प्रस्तुत करने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति न हो इसलिए सम्मान निधि वितरण की वर्तमान प्रक्रिया को और अधिक सटीक, पारदर्शी बनाया जाना आवश्यक है. साथ ही लोकतंत्र सेनानियों का भौतिक सत्यापन कराना भी जरूरी है. इसके लिए अलग से दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे. जीएडी ने सभी कलेक्टरों से कहा है कि आगामी माह से सम्मान निधि राशि का वितरण उपरोक्तानुसार कार्यवाही होने के बाद ही किया जाए. इसके लिए जिला कोषालय एवं सम्मान निधि वितरण करने वाली सभी बैंक शाखाओं को तत्काल अपने स्तर पर निर्देशित किया जाए.