ये जो तस्वीर आप देख रहे है वो दो साल पहले की है, जब डबरा के चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर इमरती देवी के लिए प्रचार करते आपको एक नेता नजर आ रहे होंगे. ये नेता कोई और नहीं बल्कि उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल करने वाले नेता सुरेश राजे है.

तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि जो नेता किसी अन्य प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहा है वह अगले दो साल बाद उसी क्षेत्र का विधायक होगा. हालांकि ये हार इसलिए भी हुई क्योंकि जनता ने जिस नेता को अपना विधायक बनाया था, वह बागी हो गई और फिर अगले चुनाव में जनता ने ही उसे हार का मजा चखा दिया.

दो साल साल 2018 में सुरेश राजे को भारतीय जनता पार्टी ने नजर अंदाज किया तो उन्होंने बीजेपी पार्टी छोड़कर मध्यप्रदेश कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इस दौरान 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी समधन इमरती देवी के लिए जबरदस्त प्रचार-प्रसार किया था. जिसके चलते इमरती देवी को 57 हज़ार की शानदार जीत मिली थी.

लेकिन इस चुनाव में इमरती देवी चुनाव हार गई है, जिसके बाद वो फूट-फूटकर रोती हुई भी नजर आई.

जिससे हारी चुनाव वो रिश्ते में है समधी

सुरेश राजे और इमरती देवी के रिश्ते में समधी-समधन लगते हैं. जानकार बताते है कि सुरेश के बड़े भाई के बेटे की तरफ इमरती देवी के भाई की बेटी की शादी हुई है. इस रिश्ते से दोनों नेता आपस में समधी-समधन होते हैं. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के सुरेश गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अपना राजनीतिक गुरु मनाते हैं. जब वह भाजपा में थे तो मिश्रा से ही 38 साल तक राजनीति के दांव-पेंच सीखे हैं. अब उनके गुरू ही उनकी विपक्षी दल में हैं.

आइटम कांड से भी इमरती देवी को नहीं मिली सहानुभूति

भारतीय जनता पार्टी और सीएम शिवराज ने कमलनाथ को जमकर घेरा था. भाजपा को इस आइटम कांड को भुनाने के लिए  सहानुभूति की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा होते नहीं दिखा. ऐसा लगने लगा था कि अब तो इमरती देवी चुनाव जीत जाएंगी. इससे बाद वह अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सकीं.