Maghi Purnima 2024: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े और प्राचीन शिवरीनारायण मेला 24 फरवरी माघी पूर्णिमा से शुरू होने वाले 15 दिवसीय तक चलेगा. बता दें कि, शिवरीनारायण को पुरी के भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान कहा जाता है.
ऐसी मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के दिन पुरी के भगवान जगन्नाथ, शिवरीनारायण के मंदिर में विराजते हैं. यही वजह है कि ओडिशा के अलावा देश-दुनिया से भगवान के दर्शन के लिए लोग पहुंचते हैं और त्रिवेणी संगम में स्नान कर भगवान के दर्शन करते हैं. फिर छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन शिवरीनारायण मेला का आनन्द उठाते हैं.
शिवरी नारायण को छत्तीसगढ़ की जगन्नाथपुरी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इसी स्थान पर प्राचीन समय में भगवान जगन्नाथ जी की तीनों प्रतिमाएं स्थापित रही थी, परंतु बाद में इनको जगन्नाथ पुरी में ले जाया गया था. इसी आस्था के फलस्वरूप माना जाता है कि आज भी माघ पूर्णिमा के दिन साल में एक दिन भगवान जगन्नाथ यहां आते हैं.
यहां लगता है छग का सबसे बड़ा मेला (Maghi Purnima 2024)
माघी पूर्णिमा के समय शिवरीनारायण में मेला लगता है, जो छग का सबसे बड़ा मेला है. इसमें उड़ीसा, झारखंड, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के लोग आते हैं. माघी पूर्णिमा के दिन त्रिवेणी संगम (महानदी, शिवनाथ और जोक नदी) में शाही स्नान साधु-संत करते हैं. लोगों की भी भीड़ उमड़ती है, क्योंकि भगवान जगन्नाथ, एक दिन के लिए शिवरीनारायण मंदिर में विराजते हैं.
पुरी के मंदिर के दरवाजे बंद रहते हैं (Maghi Purnima 2024)
पौराणिक कथाएं और लोकमान्यातओं को समेटे शिवरीनारायण छत्तीसगढ़ का प्राचीन नगर रहा है. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार कहा जा सकता है कि पुरी के भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को यहीं से ले जाया गया था. शबर जाति के रहस्यमय तंत्र की साधना स्थली जिसका विराट स्वरूप तिब्बत में मिलता है शिवरीनारायण की देन है. माघ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ वापस शिवरीनारायण आते हैं इसी लोकविश्वास पर आज भी जगन्नाथ पुरी के मंदिर के दरवाजे इस दिन बंद रहते हैं यहां तक कि उस दिन भोग भी नहीं लगता.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक