Maha Kumbh 2025. बस चंद घंटे और इसके बाद विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम का शुभारंभ होगा. जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और आध्यात्म का समागम होगा. लाखों की संख्या में लोग संगम में डुबकी लगाएंगे. सनातनधर्मियों के लिए महाकुंभ का ये पर्व खास महत्व रखता है. इसके बार में लल्लूराम डॉट कॉम के महाकुंभ महाकवरेज सीरिज में हम जानकारी दे चुके हैं. जिसमें जगद्गुरु शंकराचार्य जी से हमने कुंभ की महत्ता को जाना. अब हम जानेंगे कि कुंभ स्नान से फल क्या मिलता है. संगम में नहाने से क्या होता है?
‘अश्वमेध सहस्राणि वाजपेय शतानि च। लक्षप्रदक्षिणा भूमेः कुम्भस्नानेन तत्फलम्॥’ यह श्लोक गर्ग सहिंता में है. इस श्लोक में अश्वमेध का मतलब है हजार अश्वमेध यज्ञ और वाजपेय का मतलब है सौ वाजपेय यज्ञ. इस श्लोक में लक्षप्रदक्षिणा का मतलब है पृथ्वी की एक लाख बार परिक्रमा करना. कुंभस्नान का मतलब है दिव्य कुंभ स्नान. पूरे श्लोक की व्याख्या एक वाक्य में की जाए तो इसका मतलब होता है हजार अश्वमेध यज्ञ, 100 वाजपेय यज्ञ और एक लाख बार पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो पुण्य मिलता है, वह एक कुंभ स्नान के बराबर होता है.
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कुंभ से आती है पूर्णता
जगद्गुरु शंकराचार्य के मुताबिक जो लोग आध्यात्मिकता तक नहीं पहुंच पाते उन लोगों के लिए कहा गया है कि ये जो कुंभ पर्व आयोजित होता है उसमें आप पहुंचिए. वहां पर आपको भौतिक, दैविक और आध्यात्मिक तीनों तरह की सीख मिलेगी. गंगा, यमुना, सरस्वती के किनारे वहां पर देवी-देवता आते हैं, जो वहां पर ज्ञान का उपदेश करेंगे और इससे आपका जीवन परिपूर्ण बन जाएगा.
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