Maha Kumbh: निषादराज की नगरी श्रृंगवारपुर धाम अब महाकुंभ से जुड़ा प्रमुख स्थान बनने जा रहा है. श्रृंगवारपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ-साथ ग्रामीण पर्यटन की संभावनाएं भी विकसित की जा रही हैं. देश-विदेश के पर्यटकों की सुविधा के लिए यह बहुत अधिक काम हुआ है. यहां श्रीराम शयन स्थल, वीर आसन, सीताकुंड को भी विकसित किया गया है.
यहां पर निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना, मूर्ति की सीढ़ियां, चबूतरा, ओवरहेड टैंक, बाउंड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि का कार्य कराया गया है. इसके साथ ही गैलरी, पेंटिंग, मेडिटेशन सेंटर, केयरटेकर रूम, कैफेटेरिया, पाथ-वे, पेयजल और टॉयलेट ब्लॉक, कियॉस्क, पार्किंग, लैंडस्केपिंग, बागवानी, बाहरी सड़क, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी, भगवान श्री राम की बैठक को दर्शाते हुए कार्य जैसे कार्य निषादराज के साथ किया गया है.
निषादराज की राजधानी (Maha Kumbh)
निषादराज गुह्य शृंगवारपुर में निषादों के राजा थे, जिन्होंने भगवान श्री राम को उनके वनवास के दौरान गंगा पार करने में मदद की थी. यह भी माना जाता है कि यह राम और सीता के वनवास का पहला शिविर यहीं के निकट था. इसका नाम है रामचौरा घाट. रामचौरा घाट पर, राम ने अपनी शाही पोशाक त्याग दी और वनवासी का रूप धारण कर लिया.
यह स्थान त्रेता युग में निषादराज की राजधानी थी. प्रयागराज से 40 किलोमीटर की दूरी पर गंगा के तट पर स्थित श्रृंगवारपुर धाम को ऋषि-मुनियों की तपोस्थली माना जाता है. इसका उल्लेख वाल्मिकी रामायण में मिलता है.
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