नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के मामले की जांच अब दोबारा नहीं कराई जाएगी. बापू की हत्या के मामले में अदालत की मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा बतौर एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. उन्होंने कहा है कि इस केस की दोबारा जांच की जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सभी जरूरी कागजातों की जांच करने वाले अधिवक्ता अमरेंद्र सरन ने कोर्ट में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि बापू की हत्या करने में नाथूराम गोडसे के अलावा किसी और के होने के सबूत नहीं मिले हैं.
एमिकस क्यूरी अमरेंद्र सरन ने कोर्ट को जानकारी दी कि जिस फोर बुलेट थ्योरी की बात होती है, उसका भी कोई सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या में किसी विदेशी एजेंसी का हाथ होने, दो लोगों के फायरिंग करने और चार गोली चलने के दावों में दम नहीं है. बता दें कि अभिनव भारत के ट्रस्टी और रिसर्चर मुंबई के डॉक्टर पंकज फडनीस की थ्योरी के मुताबिक गांधीजी की हत्या चार गोलियां मारकर हुई थी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और सीनियर अधिवक्ता अमरेन्द्र शरण को एमिकस क्यूरी यानि न्याय मित्र नियुक्त किया था. डॉक्टर पंकज फडनीस की याचिका में गांधी हत्याकांड में ‘तीन बुलेट की कहानी’ पर प्रश्न चिह्न लगाने के साथ ही ये सवाल भी उठाया गया था कि क्या नाथूराम गोडसे के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने भी चौथी बुलेट भी दागी थी?
गोडसे और आप्टे को मिली थी मौत की सजा
गौरतलब है कि महात्मा गांधी के हत्याकांड में 10 फरवरी 1949 को गोडसे और आप्टे को मौत की सजा सुनाई गई थी. वहीं विनायक दामोदर सावरकर को सबूतों की कमी के कारण संदेह का लाभ दे दिया गया था. गोडसे और आप्टे को 15 नवंबर, 1949 को अंबाला जेल में फांसी दे दी गई थी.
1948 में हुई थी बापू की हत्या
30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की हत्या हुई थी. दिल्ली के तुगलक रोड थाने में उर्दू में एफआईआर दर्ज की गई थी. जो आज भी रिकॉर्ड रूम में संभाल कर रखी गई है.