प्रयागराज. 13 जनवरी का हर श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार है. इस दिन महाकुंभ की शुरुआत होगी. जहां भारत के कोने-कोने से करोड़ों की संख्या में लोग पहुंचेंगे. इसी क्रम में श्रीपंच अग्नि अखाड़े के 1 हजार से अधिक साधु-संत, नागा सन्यासी हाथी-घोड़े पर सवार होकर छावनी में प्रवेश हो रहे हैं. इस दौरान सड़क पर संतों की पेशवाई ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.
बता दें कि महाकुंभ में साधु-संतों का चौथा अखाड़ा प्रवेश कर रहा है. इस दौरान यात्रा में अखाड़े से जुड़े शिव बाराती नर-पिशाचों के रूप में सड़क पर तांडव करते दिखे. किसी ने मां काली का रूप धारण कर रौद्र रूप दिखाया तो किसी ने सीने पर ईंटें रखकर हथौड़े से वार करवाकर ईंटों को सीने पर तोड़ा. जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ नजर आई. इस दौरान सड़क किनारे खड़ लोग साधु-संतों पर फूल बरसाते नजर आए. यात्रा में 15 घोड़े, 40 रथ की व्यवस्था की गई है. जो अनंत माधव मंदिर चौफटका से शुरू होकर ओवरब्रिज से होते हुए करबला चौराहा, बेनीगंज, बैरहना, नवल किशोर तालाब से सीधे मेला क्षेत्र में प्रवेश कर रही है.
क्या होती है साधुओं की पेशवाई
महाकुंभ में देश के कई कोनों से लाखों संत और अखाड़े शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. इस दौरान साधुओं की पेशवाई देखते ही बनती है. साधु-संत अपने अखाड़ों से भव्य शोभायात्रा बैंड-बाजे, हाथी-घोड़े और सजाए गए रथों पर निकालते हैं. इन रथों पर सम्मानित गुरु या संत विराजमान होते हैं. इस दौरान उनके मानने वाले लोग उनके साथ पैदल चलते हैं और अलग-अलग वेशभूषा में नजर आते हैं. इस दौरान सड़क पर एक से बढ़कर एक करतब दिखाते नजर आए.
विदेश से पेशवाई देखने पहुंचा परिवार
अखाड़े की पेशवाई देखने के लिए न केवल देश बल्कि विदेशों में बसे भारतवंशी भी संगम नगरी प्रयागराज पहुंच रहे हैं. अमेरिका के न्यूयॉर्क में रहने वाला गुजरात का एक परिवार भी अग्नि अखाड़े की पेशवाई को देखने के लिए पहुंचा हुआ है. विदेश में बसे भारत वंशियों के लिए अखाड़े का सनातनी वैभव रोमांचित करने वाला है.
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