महाकुंभ नगर। महाकुंभ मेला 2025 (Mahakumbh 2025) की शुरुआत 13 जनवरी (13 January 2025) से होने जा रही है। हिंदू धर्म में कुंभ मेले का बहुत महत्व होता। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक कार्यक्रम के रूप में देखा जाता है। महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है। ऐसे में महाकुंभ से पहले गंगा की तीन धाराएं एक हो गईं। वो कैसे? आइए जानते हैं।

महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा स्नान के साथ होती है। वहीं महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान के साथ कुंभ पर्व की समाप्ति हो जाती है। इसी बीच लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस मेले में आएंगे और संगम में डुबकी लगाएंगे। प्रयागराज में महाकुंभ मेला गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर लगता है। धार्मिक मान्यताएं की माने तो संगम में स्नान करने से पाप मिट जाते हैं। इसके साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है।

Mahakumbh 2025 : भूमि आवंटन की प्रक्रिया तेज, 8 से 10 हजार संस्थाओं के आने की संभावना, 4 हजार से अधिक संस्थाओं को हुआ आवंटन

तीन धाराओं में बंटी थी संगम

प्रयागराज में शास्त्री ब्रिज से लेकर संगम तक गंगा तीन धाराओं में बंट गई थी। इससे न सिर्फ गंगा की पवित्रता प्रभावित हो रही थी, बल्कि महाकुंभ आयोजन में भी कठिनाइयां आ रही थीं। ऐसे में आईआईटी गुवाहाटी की एक टीम की मदद से गंगा नदी एक बार फिर एक धारा में प्रवाहित कर वास्तविक स्वरूप में आ गई है। आइए जानते हैं कैसे.

संगम पर तीन धाराओं में बहने वाली गंगा नदी की धाराओं को एक धारा में प्रवाहित किया गया है। शास्त्री ब्रिज से लेकर संगम नोज तक गंगा नदी के तीन धाराओं में बंटने की समस्या ने लंबे समय से श्रद्धालुओं और कुंभ आयोजन के लिए चुनौती खड़ी कर रखी थी। यह विभाजन न सिर्फ गंगा की पवित्रता को प्रभावित कर रहा था, बल्कि मेला क्षेत्र को सीमित और अव्यवस्थित बना रहा था। जिसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस चुनौती का समाधान किया गया। फिर गंगा को एक धारा में प्रवाहित कर उसका वास्तविक स्वरूप वापस लाया गया है।

Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा करेंगे 56 स्पेशल साइबर योद्धा, CM योगी के निर्देश पर साइबर सुरक्षा के विशेष इंतजाम

गंगा को एक धारा में प्रवाहित करने की इस योजना को सफल बनाने के लिए आईआईटी गुवाहाटी के विशेषज्ञों की मदद ली गई। जिसमें संगम क्षेत्र में तीन विशाल ड्रेजिंग मशीनों का उपयोग किया गया। इन मशीनों ने गंगा की बायीं और दायीं धाराओं को मुख्य धारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।