हकिमुददीन नासिर, महासमुंद. महानदी के जल बंटवारे को लेकर 40 साल से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच विवाद की स्थिति निर्मित है. दोनों राज्यों के दावों का परीक्षण करने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम आज सुबह रायपुर-महासमुंद के निसदा बांध पहुंची. यहां निरीक्षण के बाद टीम समोदा बैराज के लिए रवाना हुई.

आप को बता दें कि महानदी जल विवाद अधिकरण के आदेशानुसार छत्तीसगढ़ स्थित महानदी बेसिन क्षेत्र में 2 चरणों में महानदी में जल की उपलब्धता और उपयोगिता का निरीक्षण होगा. 18 अप्रैल से प्रथम चरण प्रारंभ हुआ, जो 22 अप्रैल तक चलेगा. वहीं द्वितीय चरण 29 अप्रैल से 3 मई तक चलेगा. महानदी का पानी 53 प्रतिशत छत्तीसगढ़ और 46.5 प्रतिशत ओडिशा के पास है. इस पानी का अधिकतर उपयोग खेती के लिए किया जाता है इसलिए इसे छत्तीसगढ़ की जीवनदायनी कहा जाता है.

महानदी जल विवाद 1983 में शुरू हुआ

ओडिशा सरकार 19 नवंबर 2016 को कोर्ट पहुंचा था और 2017 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. ओडिशा और छत्तीसगढ़ दोनों के बीच विवाद न सुलझने पर केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2018 में ट्रिब्यूनल टीम भेजी. तीन सदस्यीय टीम आज सुबह निसदा बांध पहुंची, जहां रायपुर कलेक्टर, एसडीएम, जल संसाधन और ओडीशा के विभागीय अधिकारी मौजूद थे. टीम ने दोनों राज्यों के अधिकारियों का पक्ष सुना. इस दौरान रायपुर जल संसाधन के अधिकारी ने टीम को बताया कि निसदा व समोदा बैराज से आसपास करीब 200 गांवों का जल स्तर बढ़ता है, जिससे यहां गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत नहीं होती.

आरंग और महासमुंद में होती है पानी सप्लाई

रायपुर के अधिकारी ने बताया, आरंग और महासमुंद वासियों को महानदी जलावर्धन योजना से पानी की सप्लाई की जाती है. साथ ही महानदी से लगे औद्योगिक क्षेत्र बिरकोनी के 60 से अधिक फैक्ट्रियों को भी यहां से पानी की सप्लाई होती है. महानदी से प्रतिदिन इन उद्योगों को 5 लाख लीटर पानी दिया जाता है. टीम ने निसदा बांध का निरीक्षण किया और वे समोदा बैराज के लिए रवाना हो गए.