BARAMATI(Pune): Additional Session Court ने महाराष्ट्र के Deputy CM को बहुत बड़ी राहत दी है. अदालत ने 2014 के लोकसभा चुनाव से जुड़े एक मामले में उनके खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए इश्यू ऑफ प्रोसेस के आदेश को रद्द कर दिया. यह मामला वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बारामती में हुई एक चुनावी सभा से जुड़ा है. शिकायत सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और उस समय आम आदमी पार्टी (AAP) के लोकसभा उम्मीदवार रहे सुरेश खोपड़े ने दर्ज कराई थी.पुणे की बारामती की अतिरिक्त सत्र अदालत ने अजित पवार को कथित वोटरों को धमकी मामले में राहत दी है। कोर्ट ने अजित पवार के खिलाफ जारी समन को रद्द कर दिया है।खोपड़े का आरोप था कि 16 अप्रैल 2014 को एक चुनावी सभा में अजित पवार ने कथित तौर पर मतदाताओं को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उनकी चचेरी बहन और एनसीपी नेता सुप्रिया सुले के पक्ष में मतदान नहीं किया, तो कुछ गांवों की जलापूर्ति बंद कर दी जाएगी.
अजित पवार के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत पाटिल सत्र अदालत में पेश हुए. अधिवक्ता ने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत ने बिना पर्याप्त कारण दर्ज किए और बिना जुडिशल एप्लीकेशन ऑफ़ माइंड के प्रक्रिया जारी कर दी, जो कानून के खिलाफ है.उन्होंने Bombay High Court के कई फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि उच्च न्यायालय पहले भी ऐसी प्रवृत्ति की कड़ी आलोचना कर चुका है, जहां मजिस्ट्रेट अदालतें बिना ठोस कारण बताए प्रक्रिया जारी कर देती हैं.
अधिवक्ता पाटिल ने यह भी अदालत को बताया कि मजिस्ट्रेट ने खुद वीडियो और ऑडियो साक्ष्य को अस्पष्ट मानते हुए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत जांच के आदेश दिए थे. जांच रिपोर्ट के अनुसार कोई नया या ठोस सबूत सामने नहीं आया.अतिरिक्त सत्र अदालत ने Lower Court का आदेश रद्द करते हुए मामला दोबारा मजिस्ट्रेट अदालत को भेज दिया है. अब मजिस्ट्रेट को उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कानून के मुताबिक नए सिरे से विचार करना होगा. इस फैसले के बाद फिलहाल अजित पवार के खिलाफ चल रही आपराधिक प्रक्रिया पर रोक लग गई है. इसे अजित पवार के लिए एक बड़ी कानूनी राहत के तौर पर देखा जा रहा है.



