Devendra Fadnavis & Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) एक बार फिर रंग बदलते हुए दिख रही है। दरअसल महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार को दिलचस्प वाकया देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में उद्धव ठाकरे को महायुति में आने का ऑफर दे दिया। इतना ही नहीं, महाराष्ट्र विधानपरिषद के अंदर उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच की हंसी ठिठोली भी खूब चली। दोनों की इस हंसी ठिठोली ने सियासी गलियारों की हलचल बढ़ा दी है। एक तरफ, जहां राजनीतिक पंडित इस मंद-मंद मुस्कनिया के पीछे छिपे भावों को ढूढने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ दोनों नेताओं के इस हंसी के पीछे की राजनीति क्या थी, इसपर चर्चा शुरू हो गई।

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सबसे बड़ा सवाल तो यही उठ रहा है कि उद्धव-फडणवीस की हंसी… ये सिर्फ सियासी मुस्कान है या महाराष्ट्र में फिर से कोई नई खिचड़ी पकने की राजनीतिक पटकथा लिखी जा रही ?

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दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहसों से गरम है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के तीखी बहसों के बीच बुधवार को अलग नजारा देखने को मिला। विधानभवन की लॉबी में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे अचानक आमने-सामने आए। दोनों ने मुस्कुराकर एक-दूसरे का अभिवादन किया। कुछ ही सेकंड का ये दृश्य भले ही सामान्य दिखा हो, लेकिन इसकी गर्मजोशी ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। इस हंसी के पीछे की राजनीति क्या थी इसपर चर्चा शुरू हो गई। वहीं विधानभवन में नेताओं के बीच दिखी मुस्कुराहटें, अभिवादन और अदृश्य खींचतान ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।

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सदन में तंज, लेकिन माहौल मैत्रीपूर्ण

विधानसभा के भीतर भी यह सौहार्द झलकता नजर आया। दोनों नेताओं के बीच कुछ शब्दों का आदान-प्रदान हुआ, जिसमें राजनीतिक व्यंग्य भी था, लेकिन लहजा सहज और सधा हुआ। चर्चा का केंद्र बना फडणवीस का वह मजाकिया बयान, जिसमें उन्होंने कहा, ‘उद्धवजी को 2029 तक कुछ करना नहीं है। हम विपक्ष में जाने वाले नहीं, लेकिन आपको वापस लाने पर जरूर विचार कर सकते हैं- एक अलग तरीके से। इस टिप्पणी ने राजनीतिक विश्लेषकों को नई संभावनाओं पर सोचने को मजबूर कर दिया है।

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‘आपको इधर आना है तो विचार करेंगे’

दरअसल, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे का कार्यकाल खत्म हो रहा है। अंबादास दानवे शिवसेना यूबीटी गुट से हैं। उनके कार्यकाल पर बोलते समय  सभागृह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे से मजाकिया अंदाज में कहा कि उद्धव जी 2029 तक तो वहां ( विपक्ष) आने का अपना स्कोप बचा नहीं, हां, आपको यहां आना है तो सोचा जा सकता है। हां, लेकिन उसका विचार भी अलग ढंग से करना होगा।मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बयान भले ही लाईट टोन में दिया हो लेकिन जहां एक ओर स्थानीय निकाय के चुनाव में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की चर्चा शुरू हो चुकी है वहीं मुख्यमंन्त्री के इस बयान के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं। सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना से बीजेपी की छवि लगातार धूमिल होती रही है। इस पर मुख्यमंत्री फडणवीस भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में विधानपरिषद में देवेंद्र फडणवीस के इस बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि यह बयान शिवसेना शिंदे के लिए भी एक चेतावनी है।

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पहले पापा को ऑफर, फिर बेटे के साथ भी हंसी-ठिठोली

महाराष्ट्र विधान परिषद में एक तरफ, जहां सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को आने का ऑफर दिया। साथ ही उनसे हंसी-ठिठोली भी की। वहीं दूसरी तरफ एक कार्यक्रम में भी सीएम फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) के बीच हंसी-मजाक और गर्मजोशी भरी बातचीत ने सबका ध्यान खींचा।

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फोटो फ्रेम में बैठी तस्वीर, पर रिश्तों में फासला

हालांकि, बाद में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के कार्यकाल समापन पर हुए फोटो सेशन के दौरान एक और दिलचस्प दृश्य सामने आया। सामने की पंक्ति में मुख्यमंत्री फडणवीस, उपमुख्यमंत्री शिंदे, अजित पवार और स्पीकर राहुल नार्वेकर बैठे थे। तभी उद्धव ठाकरे पहुंचे. उनके आते ही फडणवीस और नार्वेकर खड़े हुए और मुस्कुराते हुए उन्हें सीट ऑफर की। असली दृश्य तब बना जब उद्धव ठाकरे की नजदीकी एकनाथ शिंदे से हुई। जून 2022 की बगावत के बाद शायद पहली बार दोनों इतने पास आए, लेकिन किसी भी तरह का अभिवादन नहीं हुआ। नीलम गोरे ने उद्धव को ठीक शिंदे के पास की सीट ऑफर की, लेकिन उन्होंने एक सीट छोड़कर बैठना पसंद किया। दोनों नेता एक ही फ्रेम में तो थे, लेकिन फासला साफ नजर आया।

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