पौष का महीना सूर्यदेव की उपासना का महीना है. जो 5 दिसंबर से शुरू होकर 3 जनवरी तक रहेगा. इसलिए पूरे माह में भगवान भास्कर की पूजा करनी चाहिए. सूर्य को अर्घ्य देना. सूर्य मंत्र, चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सबसे शुभ होता. भगवान सूर्य के साथ-साथ पौष महीने में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना भी फलदायी होती है. इसलिए इन महीनों में भगवान श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए. पौष माह में गुड़, तिल, गर्म कपड़े, कंबल आदि दान करें. गरीबों को अन्न दें. जरूरदमदों की सहायता करें. श्रद्धा के साथ पितरों के लिए तर्पण या पिंड दान करें.

पौष महीने में क्या न करें

पौष माह में कुछ चीजों को निषेद्य माना गया है. जिसमें शादी, नया बिजनेस शुरू करना. कोई भी शुभ काम की शुरुआत न करें. ठंडी जगहों पर ना जाए. बहुत ठंडे पानी से ना नहाएं.

पौष माह के प्रमुख व्रत

7 दिसंबर, रविवार- अखुरथ संकष्टी चतुर्थी

11 दिसंबर, गुरूवार- कालाष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी

15 दिसंबर, सोमवार- सुखौला एकादशी

16 दिसंबर, मंगलवार- धनु संक्रांति, खरमास शुरू

17 दिसंबर, बुधवार- बुध प्रदोष व्रत

18 दिसंबर, गुरूवार- शिवरात्रि

19 दिसंबर, शुक्रवार- पौष अमावस्या

24 दिसंबर, बुधवार- विघ्नेश्वर चतुर्थी

27 दिसंबर, शनिवार- गुरु गोबिंद सिंह जयंती

30 दिसंबर, मंगलवार-पौष पुत्रदा एकादशी

1 जनवरी, गुरूवार- रोहिणी व्रत, प्रदोष व्रत, नया साल

3 जनवरी, शनिवा को पौष पूर्णिमा, माघ स्नान शुरू.

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