Makar Sankranti 2024 : इस बार व्यतिपात योग शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शतभिषा नक्षत्र में सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. मिथिला पंचांग के अनुसार सुबह 8:30 में और काशी पंचांग के अनुसार प्रातः काल 8:42 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश किया. अतः मकर संक्राति 15 जनवरी सोमवार को ही मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं, क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पानी में काले तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. साथ ही सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है.

पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति

इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय फल प्राप्त होता है. साथ ही जाने अनजाने में पूर्व जन्मों के किए गए पाप का क्षय हो जाता है. इस दिन देवी-देवता एक साथ प्रसन्न होते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरण हुई थीं और राजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम सें होती हुई गंगा सागर में पहुंची थी.

भगवान भी आएंगे कल गंगा स्नान करने

गंगा के पावन जल से राजा सगर के साठ हजार श्रापग्रस्त पुत्रों का उद्धार हुआ था. मकर संक्रांति के दिन सभी देवी-देवता स्वरूप बदलकर स्नान करने आते हैं. संगम में स्नान करना अनन्त पुण्यों को प्राप्त करने के समान है. मकर संक्रांति पर्व पर दान का बड़ा महत्व रहा है.

दान का विशेष महत्व

इस दिन गंगा स्नान कर कंबल, घृत दान, तिल, लाडू, वस्त्र आदि दान का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति से ही दिन बड़े होने लगते हैं और रात्रि की अवधि कम होती चली जाती है. भारतीय संस्कृति में मकर संक्रांति पर्व मनाने का विशेष महत्व है.