रायपुर– सदगुरू वर्तमान, भूत, भविष्य तीनों काल में होते हैं. यदि तुम पहचान सको तब. जीवंत सदगुरू से आचरण यदि नहीं सीख पाये तो गीता, रामायण, भागवत धर्म शास्त्र किसी काम का नहीं. यह विचार शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में प्राकट्य उत्सव के अंतिम दिन सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज ने कही. आगे रितेश्वर जी महाराज ने कहा कि सदगुरू वह नहीं जो केले को संतरा बना दे वह तो जादूगर होता है, सदगुरू तो वह हैं जो किसी दुराचारी को श्री राधा-माधव के श्री चरणों का अनुरागी बना दे, श्रीकृष्ण प्रेमी बना दे. जिसके मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईर्ष्या भरा है, उसके मन में मनमोहन का प्रवेश करा दे.

जीवन में मनुष्य की आकांक्षा क्या है

जीवन में मनुष्य की आकांक्षा क्या है, चाहता क्या है, चाहे वह मंदिर या मदिरालय जाये, चाहे वह सत्कर्म करे या दुष्कर्म करे आखिर वह आनन्द प्रेम शांति ही तो चाहता है. उम्मीद में दुनिया जीती है और उसी उम्मीद के पीछे दुख का विशाल भंडार है. दुख का ऊंची मीनार है. यही तो दुख का कारण है. आज तक संसार में किसी की इच्छा पूर्ण नहीं हुआ. परमात्मा को पाने का एक ही साधन है स्वयं श्रीभगवान कहते हैं-

निर्मल मन जन सो मोहि पावा।

मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।

यह ही एकमात्र मंत्र है उन्हें बुलाने का तुम्हारा मन तो कपट छल से भरा है छिद्र ही छिद्र है और कहते हो भगवान मिल जाये.

प्रभात दर्शन में शामिल हुए हजारों लोग

पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में श्रीआनन्दम् धाम परिवार वृन्दावन रायपुर का सदगुरू महाअवतरण पर्व में 6 दिवसीय गरिमापूर्ण महा आयोजन किया गया. सुबह हरिनाम संकीर्तन के साथ भक्तों ने गीतांजलि नगर में प्रभात दर्शन निकालकर गुरुजी शिष्यों के साथ ऑडिटोरियम पहुंचे. महामंगल वैदिक आरती के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गुरु पाठ पूजन किया गया. जिसमें हजारों भक्त शामिल हुए.

रासलीला का हुआ अद्भुत मंचन

शाम को सद्गुरू रितेश्वर महाराज ने श्रीकृष्ण भक्ति पर कथामृत का दिव्य प्रबोधन दिया. प्रयागराज से आए श्रीराधा कृष्ण मण्डली ने रासलीला का अदभुत मंचन किया. व्यास मौर्य बनारस घराने पूर्वांचल के प्रसिद्ध भजन गायक,  मनीष शुक्ला गाडरवारा मप्र का सूफी एवं भजन गायन का कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा. तो वहीं प्राकट्य उत्सव मनाते हुए भक्तों ने जमकर आतिशबाजी किया.