रायपुर. स्वस्थ इंसान वह जो शारीरिक रूप से रिलैक्स, मानसिक तौर पर अलर्ट अर्थात सचेत, भावानात्मक तौर पर शांत व आध्यत्मिक तौर पर सजग है. क्योंकि पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने के लिए मानसिक और भावानात्मक पक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना कि शारीरिक पक्ष. अर्थात् मानसिक तौर पर स्वस्थ्य रहने के लिए रिलैक्स रहना लगातार शुभ सोचना ही दिमाग की शांति के लिए आवश्यक है. सचेत रहने के साथ ही रिलैक्स रहना दिमाग ही नहीं अपितु मन की शांति के लिए भी जरूरी है. मन की व्यथा को दूर कर भावनात्मक शांत रहने के लिए जीवन में संतुष्टि तो चाहिए ही किंतु कई बार भौतिक सुख संतुष्टि का कारण नहीं बन पाती इसका कारण हम कुंडली से जानेंगे.

कुंडली का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि तीसरा स्थान मन और मनोबल को होता है और यदि तीसरे स्थान का स्वामी अगर क्रूर ग्रहों से आक्रांत हो जाए कि अथवा लग्न, तीसरे, एकादश अथवा द्वादश स्थान में बुध हों अथवा तीसरे स्थान का स्वामी छठवे, आठवे या बारहवे स्थान पर हो तो ऐसे में मन विचलित रहता है और मनोबल कमजोर होता है. मन का कारण ग्रह चंद्रमा है और चंद्रमा के कारण ही मन अशांत होता है अतः मन की शांति के लिए चंद्रमा तथा उसके देव शंकरजी की पूजा करनी चाहिए. आज श्रावण सोमवार है अतः चंद्रमा की शांति और शिवजी की प्रियता के लिए रूद्राभिषेक करना, दूध का दान करना तथा उॅ नमः शिवाय का जाप करने से मन की विकलता को दूर किया जा सकता है.

शिव कि कृपा से समस्त ग्रह बाधाओं का, समस्त समस्याओं का नाश होता है. शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग पर मन्त्रों के साथ विशेष वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, इस पद्धति को रुद्राभिषेक कहा जाता है. इसमें शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रो का पाठ किया जाता है. सावन में रुद्राभिषेक करना और भी शुभ होता है. इससे शीघ्र ही मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसके अलावा कष्ट की स्थिति में और ग्रहों की पीड़ा को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक अमोघ होता है.

क्या है शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करने का सही तरीका?

मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना काफी उत्तम होता है.

इसके अलावा घर में पार्थिव शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं.

घर से ज्यादा मंदिर में, इससे ज्यादा नदी तट पर और इससे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है.

शिवलिंग के अभाव में अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक और पूजा की जा सकती है.