नई दिल्ली. साल 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले के आरोपियों को बड़ी राहत मिली है. इस मामलें में कर्नल श्रीकांत पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से मकोका हट गया है अब इनके खिलाफ IPC की धाराओं के तहत केस चलाया जाएगा. इनमें हत्या, आपराधिक साज़िश की धाराएं भी शामिल हैं. कोर्ट ने इसके अलावा श्याम साहू, प्रवीण टक्कलकी और रामचंद्र कालसांगरा को बरी कर दिया.
इस मामले में सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं और स्पेशल एनआईए कोर्ट ने उनकी जमानत अवधि बढ़ा दी है. वहीं इस केस में रमेश उपाध्याय और अजय रहीकर से भी मकोका और यूएपीए की धारा 17,20 व 13 हटा दी गई है. कोर्ट ने मालेगांव धमाकों में शिव नारायण कालसांगरा और श्याम साहू सभी आरोपों से बरी हो गए हैं. केस की अगली सुनवाई 15 जनवरी को रखी गई है.
क्या था मामल:
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में अंजुमन चौक पर शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने बम धमाका हुआ था. इस विस्फोट में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 जख्मी हुए थे. ये धमाका एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल में हुआ था. विस्फोटक को उस मोटरसाइकिल में फिट किया गया था. इस मामले में हत्या, हत्या की कोशिश और आपराधिक साजिश के साथ यूएपीए भी लगाया गया था और बाद में जांच एटीएस को सौंप दी गई थी.
मकोका का क्या है:
महाराष्ट्र सरकार ने 1999 में मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) बनाया था. इसका मुख्य मकसद संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध को खत्म करना था. 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू कर दिया. फिलहाल महाराष्ट्र और दिल्ली में यह कानून लागू है.