कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर(Mani Shankar Aiyar) ने अपने राजनीतिक करियर को लेकर विस्तृत चर्चा की है. उन्होंने बताया है कि उनका राजनीतिक सफर कांग्रेस में कठिन हुआ और एक समय आया जब वह पूरी तरह से समाप्त हो गया. साथ ही, अय्यर ने अपनी बात रखी है कि वे कभी भी भारतीय जनता पार्टी का दामन नहीं थामेंगे, इस समय उनके पार्टी के साथ उनके संबंधों को लेकर. PTI को दिए इंटरव्यू में डिटेल में बात करते हुए अय्यर ने कहा कि राजनीति में सफल होने के लिए बहुत मजबूत आधार होना चाहिए. किसी व्यक्ति को एक निर्वाचन क्षेत्र मिलना चाहिए जहां वह कभी पराजित नहीं हुआ था, साथ ही उनके पास कोई जातिगत या धार्मिक आधार नहीं था.
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उन्होंने कहा, “उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का समर्थन मिला हुआ था और उसी समय सोनिया गांधी का भी समर्थन मिला हुआ था, लेकिन राजनीति में रहने के लिए यह एक बहुत ही अनिश्चित आधार है इसलिए 2010 में जब सोनिया गांधी गुस्सा हो गईं, तो वह संरक्षण वापस ले लिया गया. यह अभी तक पूरी तरह वापस नहीं लिया गया है.”
कैसे गिरता गया अय्यर का सियासी ग्राफ?
मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस के साथ उतार-चढ़ाव पर कहा, “यह बहुत धीमी गिरावट थी, लेकिन यह गिरावट लगभग 15 सालों के दौरान हुई है. एक समय जब राहुल गांधी आए तो मुझे लगा कि यह बढ़ने वाला है क्योंकि उन्होंने मुझसे कहा था कि जहां वह मुझसे 75% सहमतहुआ करते थे, वहां वह अब 100 % सहमत और फिर उन्होंने साबित कर दिया कि वह मुझसे पूरी तरह से सहमत हैं, कहकर अपनी मां से कांग्रेस में मेरे एकमात्र पद से मुझे हटाने के लिए कहा. यह पद राजीव गांधी नामक पंचायती राज संगठन का राष्ट्रीय संयोजक था. इसके बाद उन्होंने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया, जिससे आज मैं पूरी तरह से अकेला हूँ.
अय्यर ने कहा, “जिस परिवार ने उन्हें अवसर दिया था, उसी परिवार ने उनसे वह अवसर वापस ले लिया. उन्हें 10 साल तक सोनिया गांधी से प्रत्यक्ष मुलाकात या राहुल गांधी के साथ कोई सार्थक समय बिताने का मौका नहीं दिया गया.” प्रियंका से मैंने 2 बार ही मुलाकात की है, लेकिन वह मुझसे फोन पर बात करती है, इसलिए मैं उनसे संपर्क में हूँ. यह मेरी जीवन की विडंबना है कि गांधी परिवार ने मेरा राजनीतिक करियर शुरू किया और इसे खत्म किया.
मैं निलंबित हूं…बात नहीं कर सकता
प्रियंका गांधी ने कहा कि वह खुद राहुल गांधी से बात नहीं कर रही थी क्योंकि उनका जन्मदिन जून में था, इसलिए मैंने सोचा कि मैं उनसे राहुल गांधी को मेरी शुभकामनाएं दे सकता हूं. अय्यर ने बताया कि प्रियंका ने कहा कि वह निलंबित थी और इसलिए अपने नेता से बात नहीं कर सकते .
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वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को एक पत्र लिखा था, जो उनके जन्मदिन की बधाई के साथ शुरू हुआ था, लेकिन उस पत्र में उनके निलंबन पर स्पष्टीकरण भी मांगा था.
क्यों सोनिया गांधी हुईं अय्यर से नाराज?
मणिशंकर अय्यर ने कहा कि 2010 में दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू में नक्सलवाद से निपटने के बारे में अपनी राय दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम को अपनी राय दी थी, तो उन्होंने कहा कि वह अहंकारी और सलाह नहीं सुनने वाले व्यक्ति हैं. अगले दिन, दिग्विजय सिंह के इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “इंटरव्यू के अंत में रिपोर्टर ने पूछा कि क्या मैं दिग्विजय की राय से सहमत हूं केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम के बारे में, तो मैंने सावधानी से जवाब दिया था कि मैं एक लाख प्रतिशत सहमत हूं और मैं चिदंबरम पर कोई नहीं करूंगा.”
उन्होंने आगे कहा, “इंटरव्यू प्रसारित होने के बाद “1 लाख%” बात को हाईलाइट किया गया था. वह 15 अप्रैल, 2010 को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने वाले थे. इसके ठीक 1 घंटे पहले उन्हें सोनिया गांधी का फोन आया और जमकर फटकार पड़ी थी.”
अय्यर की किताब में हुआ खुलासा
मणिशंकर अय्यर ने अपनी अगली पुस्तक, “ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स” में भी कई खुलासे किए हैं, जो साफ करते हैं कि गांधी परिवार और मणिशंकर के बीच कुछ सही नहीं है. मणिशंकर अय्यर की किताब में कहा गया है कि 2012 में प्रणब मुखर्जी को पीएम और मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए था; अगर ऐसा हुआ होता तो यूपीए सरकार “शासन के पंगु बनने” में नहीं पहुंचती थी.
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