नई दिल्ली। मंगलवार 21 सितंबर से दिल्ली में दो दिवसीय वाणिज्य उत्सव 2021 का शुभारंभ हुआ. इसमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल हुए. उन्होंने कहा कि हम अपने दिल को खुश करने के लिए डेटा में कितना भी बदलाव कर लें, लेकिन ये हकीकत है कि जिस देश के एजुकेशन सिस्टम का डिज़ाइन ऐसा है, जहां पीढ़ी दर पीढ़ी को नौकरी करने का सपना दिखाया जाता हो, उस देश का एक्सपोर्ट नहीं बढ़ सकता.
नौकरी के बजाए कंपनी बनाने का सपना देखें युवा- सिसोदिया
सिसोदिया ने कहा कि जब हमारे संस्थानों से 99% बच्चे नौकरी पाने का सपना लेकर निकलते हैं, तो भविष्य में हमें अपने देश का नाम वर्ल्ड ट्रेड मैप और एक्सपोर्ट मैप पर ढूंढना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि जब देश में केवल नौकरी ढूंढने वाले ही होंगे, तो कंपनी बनाने वाले कहां से आएंगे. जब युवाओं को कंपनी बनाने सा सपना देखना ही नहीं सिखाया जाता, तो एक्सपोर्ट करने वाले लोग कहां से आएंगे.
छात्रों में एंटरप्रेन्योर माइंडसेट विकसित करने की जरूरत
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि छात्रों में एंटरप्रेन्योर माइंडसेट विकसित करने की जरूरत है, ताकि युवा जॉब सीकर्स के बजाय जॉब प्रोवाइडर्स बनें. सिसोदिया ने अपील करते हुए कहा कि हम सभी को एक सपने के साथ आगे बढ़ने की ज़रूरत है| आज देश के बेहतरीन संस्थानों में पढ़ने वाला बच्चा भी ये सोचता है कि उसे अमेरिका, यूरोप, जापान की किसी कंपनी में नौकरी मिल जाए. इस सोच को बदलकर हमें इतनी मेहनत करनी है कि अमेरिका, यूरोप, जापान के बच्चे ये सपना देखने लगें कि उन्हें भारत के किसी शहर में नौकरी करनी है.
देश में बिजनेस को लेकर सोच बदलनी होगी- मनीष सिसोदिया
उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हमें देश में बिजनेस को लेकर सोच बदलनी होगी. उन्होंने जीएसटी ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य के रूप में अपने अनुभवों पर बात करते हुए कहा कि हमारे देश में जीएसटी या व्यापार को लेकर अन्य कानून व्यापारियों को फेसिलिटेट करने के बजाय ये सोचकर बनाए जाते हैं कि व्यापारी चोरी कर रहा है. ऐसी स्थिति में कोई पैरेंट क्यों चाहेगा कि उनके बच्चे व्यापार करें. वो यही चाहेंगे कि उनके बच्चे कोई बढ़िया नौकरी करें. हमें इस मानसिकता को बदलनी होगी और जमीनी हकीकत पर ध्यान देना होगा.
उन्होंने कहा कि जिस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था, उस देश के लिए 300 बिलियन डॉलर कुछ नहीं है. हमें पीछे न देखकर लगातार आगे बढ़ते रहने की ज़रूरत है, तो वो दिन दूर नहीं जब ये सपना पूरा होगा और इसकी इबारत हमारे स्कूलों-कॉलेजों से रखी जाएगी.
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