सिद्धार्थनगर. बेसिक शिक्षा विभाग की नजर में उनके अपने ही शिक्षक संदेह की निगाह से देखे जा रहे हैं। एक तरफ तो उनसे पढ़ाई के साथ-साथ कई अन्य कार्य कराए जा रहे हैं, दूसरी तरफ उनपर अलग-अलग तरीके से जांच-पर्यवेक्षण के माध्यम से नजर रखी जा रही है। इसमें कई चीजों के लिए वह सीधे जिम्मेदार भी नहीं होते लेकिन उन पर कार्यवाही की तलवार लटकी रहती है।

प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में गुणवत्ता सुधार के लिए ऑपरेशन कायाकल्प, निपुण भारत लक्ष्य जैसी कई योजनाएं चल रही हैं। इनके समय से और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा कराने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर है। शिक्षक पढ़ाई के साथ, विभिन्न एप पर डाटा फीडिंग, योजनाओं की प्रगति के साथ अन्य काम में भी लगे हुए हैं। कई जिलों में शिक्षकों को स्कूल चलो अभियान के तहत बच्चों का नामांकन का लक्ष्य दिया गया है।

प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग की नजर में उनके अपने ही शिक्षक संदेह की निगाह से देखे जा रहे हैं। एक तरफ तो उनसे पढ़ाई के साथ-साथ कई अन्य कार्य कराए जा रहे हैं, दूसरी तरफ उनपर अलग-अलग तरीके से जांच-पर्यवेक्षण के माध्यम से नजर रखी जा रही है। इसमें कई चीजों के लिए वह सीधे जिम्मेदार भी नहीं होते लेकिन उन पर कार्यवाही की तलवार लटकी रहती है।

सिद्धार्थनगर में 20 से कम नामांकन होने पर वेतन रोकने की चेतावनी दी गई है। आगरा में यू-डायस पर स्कूल व शिक्षक प्रोफाइल पूरा न होने पर शिक्षक संकुलों का वेतन रोक दिया गया था। इसी तरह डाटा फीडिंग तकनीकी काम होने के बाद भी शिक्षकों से लिया जा रहा है। किंतु डाटा फीडिंग में देरी होने पर भी उनका वेतन रोक दिया जा रहा है। विभाग जूता-मोजा व ड्रेस के लिए सीधे पैसा अभिभावक के खाते में भेजता है।

लेकिन बच्चा अगर बिना ड्रेस व जूता-मोजे के स्कूल आता है तो इसके लिए जिम्मेदार भी शिक्षक बनता है। इतना ही नहीं उसे बच्चों की ड्रेस में फोटो भी भेजनी पड़ती है। वहीं विद्यालय की साफ-सफाई, पेयजल की बेहतर सुविधा की भी जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। इन सभी काम की निगरानी भी हो रही है। हाल यह है कि एक ही दिन में कभी दो, कभी तीन टीमें विद्यालयों में निरीक्षण के लिए पहुंच रही हैं।

यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि शिक्षकों से पढ़ाई छोड़कर बाकी सभी काम लिए जा रहे हैं। परिवार सर्वेक्षण में भारी भरकम डाटा जुटाकर फीड करना पड़ रहा है। बिना सुविधा व सहयोग के शिक्षक से सबकुछ कराने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ लोग जान-बूझकर शिक्षकों की छवि को खराब दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। संगठन, इसका विरोध करता है और जल्द ही इस मुद्दे पर लड़ाई का भी ऐलान करेंगे।

बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि विभाग छात्रों की बेहतरी के लिए योजनाएं चला रहा और डाटा फीडिंग करवा रहा है। विभाग को यह डाटा राज्य व केंद्र सरकार को देना होता है, जिससे आगे ग्रांट मिलती है। शिक्षकों से पठन-पाठन से जुड़े ही काम ले रहे हैं। डाटा फीडिंग के लिए टैबलेट देने की प्रक्रिया चल रही है, इसके माध्यम से वे तकनीकी काम कर सकेंगे।

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