कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में मोहन सरकार एक तरफ शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास कर रही है। मगर प्रदेश के कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है। मगर वहां मात्र 3 से 10 बच्चे ही पढ़ाई कर रहे हैं। सरकारी स्कूल के नाम पर कई हजारों की राशि खर्च की जा रही है। मगर अब जल्द ही उन स्कूलों पर ताला लगाया जा सकता है।  

दरअसल जबलपुर जिले में कई सरकारी स्कूल गिने-चुने बच्चो के साथ संचालित हो रहे हैं। यानि वहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या दहाई के आस पास भी नहीं है। मगर वहां मौजूद सरकारी शिक्षकों और सरकारी स्कूलों को मिलने वाली राशि पुरी खर्च की जा रही है। 

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बिना बच्चों के चल रहे कई सरकारी स्कूल 

जिले में 10 प्राथमिक शाला में सालों से एक भी बच्चा दर्ज नहीं किया गया। 72 प्राथमिक स्कूलों में मात्र 3 से 10 बच्चे ही पढ़ाई कर रहें हैं। मगर इन बच्चों के लिए भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है। सभी 8 ब्लॉक के 72 स्कूलों का यही हाल है। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में 72 स्कूलों पर ताला भी लटक सकता है। 

शिक्षा विभाग को ही शिक्षित होने की जरूरत

शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने से पहले शिक्षा विभाग को ही नियमों की जानकारी होनी चाहिए मगर ऐसा नहीं हो रहा है। RTI यानी राइट टू एजुकेशन के मुताबिक 1 किलोमीटर के दायरे में स्कूल होना अनिवार्य है। हर गांव में 1 km के दायरे प्राथमिक शाला, 3 km के दायरे में माध्यमिक शाला, 5 km के दायरे में हाई स्कूल, और 10 km के दायरे में हाई सेकेंडरी स्कूल होना अनिवार्य है। प्रत्येक प्राथमिक शाला में 2 टीचर होना जरूरी है। 

जबलपुर जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी का इस पर कहना है कि इसे स्कूल बंद होना तो नहीं कहेंगे। सभी सरकारी स्कूलों का सर्वे कराया जा रहा है। किन स्कूलों में कितने बच्चे हैं इसे देखा जा रहा है। और इतने कम बच्चे होने का कारण क्या है इसके कारणों का भी पता लगाया जाएगा। गली-गली में सरकारी स्कूल खोल दिए गए थे। इसकी भी जांच की जा रही है। सभी सर्वे की रिपोर्ट सरकार के पास भेजी जाएगी। इसी के बाद मालूम पड़ेगा कि इस मामले में क्या निर्णय लेना है। 

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