नईदिल्ली. आठ साल के अंतराल के बाद एक बार फिर अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह पर उतरेगा. अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इस एक बिलियन डॉलर की लागत वाला यह अंतरिक्ष यान ‘इनसाइट’ साढ़े छह मिनट तक के मंगल ग्रह पर तेज गति से उतरते भष्म कर देने वाली उष्मा को सहन कर पाए. जिसे नासा के वैज्ञानिकों ने ‘साढ़े छह मिनट का आतंक’ करार दिया है.

बता दें कि अमरीकी कंपनी लॉकहीड मार्टिंन द्वारा बनाए गए ‘इनसाइट’ को भविष्य में मंगल ग्रह की मानव यात्रा के लिए परिस्थितियों की जानकारी  हासिल करने के लिए करीबन सात महीने भेजा गया था, जो 300 मिलियन किमी दूरी तय कर अब मंगल ग्रह के पास पहुंच गया है. मंगल ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करते अंतरिक्ष यान की रफ्तार प्रति घंट 19,8000 किलोमीटर होगी, जिसे महज साढ़े छह मिनट में आठ किमी प्रति घंटा करना होगा. इसलिए नासा के वैज्ञानिकों ने इस साढ़े छह मिनट की यात्रा को ‘Six and a Half Minutes of Terror’ करार दिया है.

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नासा के पसेडेना, कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी में एंट्री, डिस्केंट एंड लैंडिंग टीम के प्रमुख रॉब ग्रोवर कहते हैं कि मंगल ग्रह पर उतरते समय गलती की बहुत कम गुंजाइंश है. यदि मंगल ग्रह में अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतर गया तो यह नासा के सिर पर सफलता का एक और मुकुट साबित होगा.

मंगल ग्रह पर उतरने वाला अमरीका इकलौता देश

अब तक अमरीका ही इकलौता देश है, जिसके यान मंगल ग्रह में उतर पाए हैं. जिसका क्यूरोसिटी रोवर मंगल ग्रह पर चक्कर लगाते हुए महत्वपूर्ण जानकारी भेज रहा है. वहीं नासा का पुराना और छोटा ऑप्र्यूचिनिटी मंगल ग्रह पर धूल की आंधी आने से पहले जून महीने तक मंगल ग्रह की पड़ताल कर रहा था. लेकिन ‘मंगल ग्रह पर उतरने में अगर ‘इनसाइट’ असफल रहा तो पहला अंतरिक्ष यान नहीं होता. इसके पहले भी 43 अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह पर उतरने, चक्कर लगाने और जानकारी लेने के लिए भेजे जा चुके हैं, लेकिन इनमें से महज 25 को ही सफलता मिली है. या तो वे मंगल की सतह पर गिरते समय टूट-फूट गए, ग्रह का चक्कर लगा नहीं पाए या फिर लांच के साथ ही अंतरिक्ष में लापता हो गए.

आठ मिनट के बाद ही मिलेगी सफलता-असफलता की सूचना

वैसे बता दें कि इनसाइट के सोमवार को मंगल ग्रह पर उतरने समय कोई लाइव प्रसारण नहीं होने वाला है. मंगल ग्रह पर सही उतरने की जानकारी धरती पर आठ मिनट बाद की देरी से पहुंचेगी. न ही मिशन के मैनेजर उतरते समय कोई हस्ताक्षेप कर पाएंगे. उतरने की पूरी प्रक्रिया प्रोग्राम कर अंतरिक्ष यान के कंप्यूटर में डाल दी गई है, उसी प्रोग्राम पर सारा दारोमदार होगा. नासा के साइंस मिशन के उच्चाधिकारी थॉमस जूर्बुचान ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि मंगल ग्रह पर जाना बहुत, बहुत कठिन है. हम 50 प्रतिशत या उससे भी कम सफलता की उम्मीद लगाए हुए हैं.